देहरादून: उत्तराखंड के लोगों को अब इलाज के लिए बड़े शहरों की ओर दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी। प्रदेश सरकार ने जिला और उप-जिला स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए हैं कि प्रदेश के सभी जिला एवं उप-जिला अस्पतालों को विशेषज्ञ डॉक्टरों और आवश्यक चिकित्सा सुविधाओं से पूरी तरह लैस (संतृप्त) किया जाए।
हर जिला अस्पताल में होंगे 5 विशेषज्ञ और रेडियोलॉजिस्ट
शुक्रवार को सचिवालय में आयोजित एक उच्च-स्तरीय बैठक में मुख्य सचिव ने स्पष्ट निर्देश दिए कि प्रत्येक जिला और उप-जिला अस्पताल में पांच प्रमुख विशेषज्ञों की तैनाती अनिवार्य रूप से सुनिश्चित की जाए। इनमें शामिल हैं:
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चिकित्सक (Physician)
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शल्य चिकित्सक (Surgeon)
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स्त्री रोग विशेषज्ञ (Gynecologist)
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हड्डी रोग विशेषज्ञ (Orthopedic Specialist)
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बाल रोग विशेषज्ञ (Pediatrician)
इसके अलावा, इन सभी अस्पतालों में एक रेडियोलॉजिस्ट की उपलब्धता भी सुनिश्चित करने को कहा गया है, ताकि एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड जैसी जांचों के लिए मरीजों को भटकना न पड़े।
बच्चों के लिए NICU और PICU की सुविधा होगी अनिवार्य
मुख्य सचिव ने नवजात शिशुओं और बच्चों के इलाज को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए यह भी निर्देश दिया कि सभी जिला और उप-जिला अस्पतालों में NICU (नवजात गहन चिकित्सा इकाई), SNCU (विशेष नवजात देखभाल इकाई) और PICU (बाल गहन चिकित्सा इकाई) जैसी जीवन रक्षक सुविधाएं अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराई जाएं। इस कदम से प्रदेश में शिशु मृत्यु दर को कम करने में बड़ी मदद मिलेगी।
अहम CHC भी बनेंगे विशेषज्ञ सुविधाओं से लैस
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि केवल जिला अस्पताल ही नहीं, बल्कि प्रदेश भर के ऐसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) को भी विशेषज्ञ सुविधाओं से लैस किया जाएगा, जहां मरीजों की संख्या बहुत अधिक है या जो दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ हैं। इन महत्वपूर्ण CHC में भी पांचों विशेषज्ञ डॉक्टरों के साथ-साथ रेडियोलॉजिस्ट और टेक्नीशियन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।
बैठक के दौरान, सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर. राजेश कुमार ने प्रदेश के अस्पतालों में डॉक्टरों, विशेषज्ञों और उपकरणों की मौजूदा स्थिति पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी और बताया कि स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इस अवसर पर महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ. सुनीता टम्टा और निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ. आशुतोष सयाना भी उपस्थित थे।