शिमला।
पूर्व विधायक राकेश सिंघा के नेतृत्व में ‘सेब उत्पादक संघ’ के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात कर अपनी विभिन्न मांगें उनके समक्ष रखीं। मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा और दोहराया कि राज्य सरकार किसानों और सेब बागवानों के साथ मजबूती से खड़ी है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “सरकार पहले ही बागवानों के लिए राहत की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुकी है।” उन्होंने आश्वासन दिया कि शीर्ष अदालत के रोक के आदेश के बाद किसी भी पेड़ को काटने की अनुमति नहीं दी जाएगी। साथ ही, उन्होंने वन विभाग को निर्देश दिए कि अदालत के निर्देश के बाद करसोग और कुल्लू घाटियों में पेड़ कटान की खबरों की जांच की जाए। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे को केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री के समक्ष उठाएंगे और सभी हितधारकों के साथ परामर्श करके एक नीति तैयार करेंगे ताकि सेब बागवानों की चिंताओं का समाधान किया जा सके।
आपदा प्रभावितों के पुनर्वास का मुद्दा भी उठाया
श्री सुक्खू ने बताया कि राज्य ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि आपदा प्रभावित भूमिहीन हो चुके परिवारों के पुनर्वास के लिए एक से पांच बीघा भूमि आवंटित करने की अनुमति दी जाए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राज्य का 68 प्रतिशत हिस्सा वन क्षेत्र के अंतर्गत आता है, इसलिए पुनर्वास की सुविधा के लिए वन नियमों में ढील देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी भाजपा सांसदों से इस मामले को केंद्र सरकार के समक्ष उठाने का अनुरोध किया गया है।
वन अधिकार अधिनियम के तहत मिल सकती है राहत
बैठक में मौजूद राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने बागवानों को पूर्ण समर्थन का आश्वासन देते हुए कहा कि राज्य सरकार उनकी मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी और मुख्यमंत्री इस संबंध में सकारात्मक हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत भी राहत पर विचार किया जा सकता है, जैसा कि पोंग बांध विस्थापितों के मामले में किया गया है।
यह बैठक सेब बागवानों की लंबे समय से चली आ रही समस्याओं के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। सरकार द्वारा जांच के आदेश और नीति बनाने का आश्वासन बागवानों के लिए एक बड़ी राहत है। बैठक के दौरान पूर्व महापौर संजय चौहान और सीपीएम नेता डॉ. कुलदीप सिंह तंवर भी मौजूद थे।
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