लुधियाना/खन्ना। पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने कर्तव्य में लापरवाही के एक गंभीर मामले में कड़ा कदम उठाते हुए खन्ना सिविल अस्पताल की गाइनेकोलॉजिस्ट (स्त्री रोग विशेषज्ञ) डॉ. कविता शर्मा को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है। यह कार्रवाई चार दिन पहले अस्पताल में एक गर्भवती महिला को समय पर इलाज न मिलने के कारण उसके नवजात शिशु की दुखद मौत के बाद की गई है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए डॉक्टर के खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है। स्वास्थ्य मंत्री ने स्पष्ट किया है कि जांच में दोषी पाए जाने पर डॉक्टर को सेवा से बर्खास्त करने के साथ-साथ उनका मेडिकल लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है।
क्या है पूरा मामला?
घटना कुछ दिन पहले की है, जब एक गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा के साथ खन्ना सिविल अस्पताल पहुंची थी। आरोप है कि ड्यूटी पर मौजूद गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ. कविता शर्मा ने महिला को समय पर उचित उपचार मुहैया नहीं कराया। इस कथित लापरवाही के चलते महिला के नवजात शिशु की मौत हो गई। इस दुखद घटना के बाद पीड़ित परिवार ने अस्पताल में हंगामा किया और मामले ने तूल पकड़ लिया, जिससे अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पर गंभीर सवाल खड़े हो गए।
स्वास्थ्य मंत्री का त्वरित एक्शन
शुक्रवार को खन्ना पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने इस मामले पर अपनी गहरी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने पत्रकारों को बताया कि जैसे ही उन्हें इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की जानकारी मिली, उन्होंने तुरंत लुधियाना के सिविल सर्जन को तीन डॉक्टरों की एक जांच कमेटी बनाने का आदेश दिया। कमेटी की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में डॉ. कविता शर्मा को सीधे तौर पर लापरवाही का दोषी पाया गया।
इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर मंत्री ने तत्काल एक्शन लेते हुए डॉ. शर्मा को सस्पेंड करने का फैसला किया।
“हमें ऐसे डॉक्टरों की जरूरत नहीं” – डॉ. बलबीर सिंह
स्वास्थ्य मंत्री ने बेहद सख्त लहजे में कहा, “यह एक अक्षम्य अपराध है। हमें ऐसे डॉक्टरों की कोई जरूरत नहीं है जो अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं कर सकते और जिनकी लापरवाही से किसी की जान चली जाए। लोगों की जान से खिलवाड़ बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
उन्होंने आगे कहा, “डॉ. कविता शर्मा को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है और उनके खिलाफ विस्तृत विभागीय जांच जारी रहेगी। यदि वह पूरी तरह दोषी पाई जाती हैं, तो उन्हें सेवा से बर्खास्त (Dismiss) भी किया जाएगा। हम उनका मेडिकल लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया भी शुरू कर सकते हैं।”
इस कड़ी कार्रवाई ने पंजाब के सरकारी स्वास्थ्य क्षेत्र में एक स्पष्ट संदेश भेजा है कि ड्यूटी के प्रति लापरवाही और मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ करने वाले किसी भी कर्मचारी या अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा। सरकार का यह कदम सरकारी अस्पतालों में जवाबदेही तय करने और आम जनता का विश्वास बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है।
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