Cambodia: थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर जंग के हालात: भीषण झड़पों में 15 की मौत

नई दिल्ली। दक्षिण-पूर्व एशिया में थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा पर दशकों पुराना विवाद एक बार फिर खूनी संघर्ष में तब्दील हो गया है। दोनों देशों के बीच हुई भयंकर सैन्य झड़पों ने हालात को जंग के मुहाने पर ला खड़ा किया है। इस हिंसा में अब तक कम से कम 15 लोगों की मौत हो चुकी है और सीमावर्ती इलाकों से एक लाख से अधिक लोगों को जान बचाकर पलायन करना पड़ा है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आपातकालीन बैठक बुलाई है।

कैसे भड़की हिंसा की आग?

ताजा संघर्ष की शुरुआत बुधवार को एक बारूदी सुरंग में हुए धमाके से हुई, जिसमें पांच थाई सैनिक घायल हो गए। इस घटना ने पहले से ही तनावपूर्ण माहौल में चिंगारी का काम किया और देखते ही देखते दोनों देशों की सेनाओं के बीच भारी गोलाबारी और गोलीबारी शुरू हो गई। थाईलैंड के अधिकारियों के अनुसार, यह पिछले एक दशक में दोनों देशों के बीच हुआ सबसे खूनी और भीषण सीमा संघर्ष है।

थाईलैंड के स्वास्थ्य मंत्रालय ने पुष्टि की है कि इन झड़पों में अब तक 15 लोग मारे गए हैं, जिनमें 14 आम नागरिक और एक सैनिक शामिल है। इसके अलावा, 46 लोग घायल हुए हैं। हालांकि, कंबोडिया ने अभी तक अपने पक्ष में हुए नुकसान का कोई आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया है।

आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी

हिंसा के बीच दोनों देश एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। थाईलैंड के स्वास्थ्य मंत्री सोमसाक ने कंबोडियाई सेना पर अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करते हुए जानबूझकर आम नागरिकों और एक अस्पताल को निशाना बनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने एक कड़े बयान में कहा, “यह एक अमानवीय कृत्य है। हम कंबोडिया सरकार से पुरजोर अपील करते हैं कि वह इस हिंसा को फौरन रोके और शांति की राह पर लौटे।”

दूसरी ओर, कंबोडिया ने थाईलैंड पर आक्रामकता का आरोप लगाया है और अपनी संप्रभुता की रक्षा करने की बात कही है।

विवाद की जड़ में प्राचीन मंदिर

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच यह विवाद नया नहीं है। इसकी जड़ में 11वीं सदी का प्राचीन हिंदू मंदिर ‘प्रेह विहार’ है, जो दोनों देशों की सीमा पर स्थित है। 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने मंदिर का स्वामित्व कंबोडिया को सौंप दिया था, लेकिन मंदिर की ओर जाने वाले मुख्य मार्ग और आसपास के 4.6 वर्ग किलोमीटर के विवादित क्षेत्र पर फैसला स्पष्ट नहीं हो सका।

2008 में जब यूनेस्को ने इस मंदिर को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया, तो यह विवाद फिर से भड़क उठा और तब से दोनों देशों के बीच समय-समय पर हिंसक झड़पें होती रही हैं। दोनों देश इस रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पहाड़ी क्षेत्र पर अपना दावा करते हैं।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया

सीमा पर बिगड़ते हालात ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचा है। कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन मैनेट के अनुरोध पर, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद शुक्रवार को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए एक आपातकालीन बैठक आयोजित करेगी। इस बैठक का उद्देश्य दोनों पक्षों को बातचीत की मेज पर लाना और तत्काल युद्धविराम लागू करवाना है।

वहीं, अमेरिका ने भी दोनों देशों से संयम बरतने और संघर्ष को जल्द से जल्द समाप्त करने की अपील की है। फिलहाल, सीमा पर तनाव चरम पर है और एक लाख से अधिक विस्थापित नागरिक राहत शिविरों में शरण लेने को मजबूर हैं, जिससे एक बड़ा मानवीय संकट भी पैदा हो गया है। पूरी दुनिया की नजरें अब संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता पर टिकी हैं, ताकि इस क्षेत्रीय संघर्ष को एक पूर्ण पैमाने के युद्ध में बदलने से रोका जा सके।

(इनपुट्स: रॉयटर्स, एएफपी)

 

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