वाराणसी। ‘विकसित भारत के लिए नशा मुक्त युवा’ की थीम पर आयोजित युवा आध्यात्मिक शिखर सम्मेलन का आज वाराणसी के रुद्राक्ष अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में ‘काशी घोषणापत्र’ को औपचारिक रूप से अपनाने के साथ समापन हो गया। युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय द्वारा आयोजित इस तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन ने 2047 तक भारत को नशा मुक्त समाज बनाने की दिशा में एक निर्णायक क्षण को चिह्नित किया। इस महत्वपूर्ण आयोजन में 600 से अधिक युवा नेताओं, 120 से अधिक आध्यात्मिक और सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों के प्रतिनिधियों, शिक्षाविदों और विशेषज्ञों ने भाग लिया।
इस आध्यात्मिक भावना को प्रतिध्वनित करते हुए, हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने काशी की सांस्कृतिक पवित्रता पर प्रकाश डालते हुए कहा, “यह काशी की पवित्र भूमि सनातन चेतना का उद्गम स्थल है, जहाँ अनुशासन और मूल्य जीवन को मोक्ष की ओर ले जाते हैं। हम यहां सिर्फ इकट्ठा नहीं हो रहे हैं; हम वे बीज बो रहे हैं जो एक दिन राष्ट्रीय परिवर्तन के एक मजबूत वृक्ष के रूप में विकसित होंगे।”
उन्होंने चेतावनी भी दी, “जिस राष्ट्र की 65 प्रतिशत आबादी युवा हो, यदि वह नशे का शिकार हो जाए, तो केवल वही लोग भविष्य का निर्माण कर पाएंगे जो इस व्यसन से खुद को मुक्त करेंगे।” श्री शुक्ल ने राजभवन के नेतृत्व में चलाए जा रहे राज्य स्तरीय नशामुक्ति जागरूकता अभियान “नशा मुक्त हिमाचल अभियान” का भी विवरण साझा किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री, डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा, “हमने पिछले तीन दिनों में विभिन्न विषयगत सत्रों में गहन चिंतन किया है। इसी सामूहिक चिंतन के आधार पर ‘काशी घोषणापत्र’ का जन्म हुआ है, जो सिर्फ एक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि भारत की युवा शक्ति का साझा संकल्प है।”
आज औपचारिक रूप से अपनाया गया ‘काशी घोषणापत्र’ मादक द्रव्यों के सेवन को एक बहुआयामी सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक चुनौती के रूप में मानने के लिए एक राष्ट्रीय सहमति की पुष्टि करता है। यह “समग्र-सरकारी और समग्र-सामाजिक दृष्टिकोण” का आह्वान करता है, जिसमें नशे की लत को रोकने, पुनर्प्राप्ति में सहायता करने और संयम की राष्ट्रीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक और तकनीकी प्रयासों के एकीकरण पर जोर दिया गया है। इसमें एक संयुक्त राष्ट्रीय समिति का गठन, वार्षिक प्रगति रिपोर्टिंग और प्रभावित व्यक्तियों को सहायता सेवाओं से जोड़ने के लिए एक राष्ट्रीय मंच जैसे संस्थागत तंत्र का भी प्रस्ताव है।
शिखर सम्मेलन के समापन सत्र में कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। उत्तर प्रदेश सरकार के आबकारी और मद्यनिषेध राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नितिन अग्रवाल ने मुख्य भाषण दिया। इससे पहले, विभिन्न सत्रों में केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार (सामाजिक न्याय और अधिकारिता), गजेंद्र सिंह शेखावत (संस्कृति और पर्यटन), गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय और युवा कार्यक्रम एवं खेल राज्य मंत्री श्रीमती रक्षा निखिल खडसे सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। श्रीमती रक्षा खडसे ने स्कूली बच्चों को निशाना बनाने वाले डिजिटल प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग पर प्रकाश डाला और प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार की शून्य-सहिष्णुता नीति को दोहराया।
Pls read:Himachal: माल ढुलाई सब्सिडी दोगुनी करने पर कामधेनु हितकारी समिति ने जताया मुख्यमंत्री का आभार