शिमला। हिमाचल प्रदेश में नियंत्रित औद्योगिक और औषधीय उपयोग के लिए भांग की खेती को कानूनी रूप देने की तैयारी अपने अंतिम चरण में है। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा है कि प्रदेश में भांग की खेती को वैध करने के लिए नियम निर्धारित कर दिए गए हैं। अब इन नियमों के मसौदे को मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया जाएगा, जिसके बाद यह नीति प्रदेश में लागू हो सकेगी।
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में मंगलवार को इस संबंध में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें भांग की खेती को वैध बनाने के मकसद से तैयार किए गए संशोधित नियमों के ड्राफ्ट पर गहन चर्चा की गई। बैठक में मसौदे के विभिन्न पहलुओं पर मंथन करने के बाद यह निर्णय लिया गया कि आवश्यक संशोधनों के साथ इसे जल्द ही मंत्रिमंडल की बैठक में रखा जाएगा। कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद इसे राज्यपाल की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद ही प्रदेश में भांग की खेती का कानूनी रास्ता साफ होगा।
क्या है सरकार का उद्देश्य?
प्रदेश सरकार का लक्ष्य इस कदम से राज्य के लिए राजस्व के नए स्रोत खोलना और इसे आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। नियंत्रित औद्योगिक और औषधीय उपयोग के लिए भांग की खेती को वैध करने से न केवल राज्य की आय में वृद्धि होगी, बल्कि यह स्थानीय लोगों, विशेषकर किसानों के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा। इससे राज्य में अवैध रूप से हो रही भांग की खेती पर भी अंकुश लगेगा और किसान कानूनी दायरे में रहकर अपनी आय बढ़ा सकेंगे।
एक सोची-समझी प्रक्रिया
यह निर्णय किसी जल्दबाजी में नहीं लिया गया है, बल्कि इसके पीछे एक लंबी और सोची-समझी प्रक्रिया है। वर्ष 2023 में प्रदेश विधानसभा में भांग की खेती को वैध करने पर विस्तृत चर्चा के बाद एक कमेटी का गठन किया गया था। विधानसभा की इस संयुक्त कमेटी ने उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों का दौरा कर वहां भांग की वैध खेती के मॉडल का गहन अध्ययन किया।
कमेटी की सिफारिशों के आधार पर ही प्रदेश सरकार ने वर्ष 2024 में विधानसभा के मानसून सत्र में भांग की खेती को वैध करने का प्रस्ताव पारित किया था। अब उसी प्रस्ताव को धरातल पर उतारने के लिए नियमों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
उच्च-स्तरीय बैठक में हुई चर्चा
इस उच्च-स्तरीय बैठक में सरकार के विभिन्न विभागों की गंभीरता स्पष्ट दिखी। बैठक में प्रधान सचिव (विधि) शरद कुमार लगवाल, सचिव (बागवानी) सी. पालरासू, विशेष सचिव हरबंस सिंह ब्रसकोन, आबकारी एवं कराधान आयुक्त यूनुस, अतिरिक्त आयुक्त राजीव डोगरा, निदेशक (कृषि) डॉ. रविंद्र सिंह जसरोटिया सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
कुल मिलाकर, हिमाचल प्रदेश अब एक ऐसी नीति को लागू करने की दहलीज पर खड़ा है, जो राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए ‘गेम-चेंजर’ साबित हो सकती है। यदि यह नीति सफलतापूर्वक लागू होती है, तो यह न केवल सरकारी खजाने को भरेगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के लिए आय का एक स्थिर और कानूनी जरिया भी प्रदान करेगी।