लखनऊ। यमुना नदी में हो रहे कथित अवैध खनन को लेकर दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सरकारों के बीच एक बार फिर प्रशासनिक और राजनीतिक तनातनी शुरू हो गई है। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता द्वारा इस मुद्दे पर सोमवार को लिखे गए एक पत्र के बाद, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को तत्काल कार्रवाई करते हुए राज्य के भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग से एक विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
दिल्ली की मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में चिंता जताते हुए कहा था कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे यमुना के क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अवैध खनन की गतिविधियां देखने को मिल रही हैं। उन्होंने इस मुद्दे की अंतरराज्यीय प्रकृति पर जोर देते हुए कहा कि इस पर प्रभावी रूप से अंकुश लगाने के लिए दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सरकारों के बीच एक “समन्वित और संयुक्त प्रवर्तन तंत्र” की तत्काल आवश्यकता है। अपने पत्र में उन्होंने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) द्वारा पूर्व में दिए गए अंतरराज्यीय समन्वय के सुझावों का भी हवाला दिया और मुख्यमंत्री योगी से इस संबंध में अपने अधिकारियों को आवश्यक निर्देश देने का अनुरोध किया।
पत्र मिलते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया और भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग से तत्काल रिपोर्ट मांगी। मंगलवार को विभाग द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में दिल्ली सरकार के दावों को खारिज किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश की सीमा के भीतर यमुना में कोई अवैध खनन नहीं हो रहा है। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि जून महीने में कुछ लोगों द्वारा अवैध खनन की शिकायत की गई थी, लेकिन जांच में यह शिकायतें निराधार पाई गईं। विभाग के अनुसार, क्षेत्र में समय-समय पर औचक निरीक्षण किए जाते हैं और पिछले वर्ष नवंबर में भी इसी तरह की शिकायतें जांच में गलत पाई गई थीं।
इसके विपरीत, उत्तर प्रदेश के खनन विभाग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया है कि पूर्व में हुए निरीक्षणों के दौरान दिल्ली की सीमा में अवैध खनन की गतिविधियां नजर आई थीं, और इस संबंध में दिल्ली के संबंधित अधिकारियों को विधिवत जानकारी भी दी गई थी।
इस पत्र-व्यवहार के बाद दोनों राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच प्रारंभिक स्तर पर बातचीत हुई है। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जल्द ही संबंधित अधिकारियों के साथ एक उच्च-स्तरीय बैठक करेंगे और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के पत्र का औपचारिक जवाब भी भेजेंगे। यह मामला अब न केवल पर्यावरणीय चिंता का विषय है, बल्कि दोनों राज्यों के बीच एक प्रशासनिक और राजनीतिक मुद्दा भी बन गया है, जिसके समाधान के लिए ठोस और समन्वित प्रयासों की आवश्यकता होगी।