नैनीताल। उत्तराखंड के बहुचर्चित और सनसनीखेज अंकिता भंडारी हत्याकांड के मुख्य दोषी पुलकित आर्य ने अपनी आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ नैनीताल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कोटद्वार की निचली अदालत द्वारा दिए गए इस फैसले को पुलकित ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है, जिस पर सुनवाई शुरू हो गई है।
सोमवार को, वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने पुलकित की अपील पर सुनवाई की। कोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत (कोटद्वार कोर्ट) से मामले का पूरा रिकॉर्ड तलब किया है और अगली सुनवाई के लिए 18 नवंबर की तारीख तय की है।
पुलकित आर्य की ओर से दायर याचिका में मुख्य तर्क यह दिया गया है कि इस मामले में कोई भी प्रत्यक्षदर्शी गवाह नहीं था, जिसके आधार पर उसे सजा दी गई। इसके जवाब में, अभियोजन पक्ष ने अपने मजबूत साक्ष्यों का हवाला दिया। सरकार की तरफ से कहा गया कि घटना के समय पुलकित और उसके दो अन्य साथियों की मोबाइल लोकेशन घटनास्थल पर ही पाई गई थी। फोरेंसिक जांच और अंकिता के व्हाट्सएप चैट से भी इसकी पुष्टि होती है, जिसमें उसने उत्पीड़न का जिक्र किया था। इसके अलावा, अभियुक्तों ने रिजॉर्ट के सीसीटीवी कैमरे बंद कर दिए थे और डीवीआर (डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर) से भी छेड़छाड़ की थी, जो अपराध में उनकी संलिप्तता को और पुख्ता करता है।
गौरतलब है कि पौड़ी जिले की रहने वाली अंकिता भंडारी, ऋषिकेश के वनन्त्रा रिजॉर्ट में काम करती थीं। रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित ने मिलकर चीला बैराज में धक्का देकर उनकी हत्या कर दी थी। इस मामले में कोटद्वार कोर्ट ने 47 गवाहों के बयानों के आधार पर 30 मई, 2025 को पुलकित आर्य को आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 354अ (यौन उत्पीड़न) और 201 (सबूत मिटाना) के तहत दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अब इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है, जिस पर आगे की सुनवाई नवंबर में होगी।