शिमला/हमीरपुर। हिमाचल प्रदेश की राजनीति के केंद्र समीरपुर में शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिला, जिसने सियासी गलियारों में हलचल तेज कर दी है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल से उनके आवास पर एक लंबी मुलाकात की। इस दौरान दोनों वरिष्ठ नेताओं के बीच लगभग 35 मिनट तक बंद कमरे में गहन मंत्रणा हुई, जिसे प्रदेश भाजपा में भविष्य के संगठनात्मक बदलावों और रणनीतिक दिशा से जोड़कर देखा जा रहा है।
यह मुलाकात इसलिए भी खास है क्योंकि कभी धूमल सरकार में वन मंत्री रहे जेपी नड्डा, आज केंद्रीय राजनीति में सर्वोच्च पद पर स्थापित होने के लंबे समय बाद पार्टी के इस पारंपरिक शक्ति केंद्र पर पहुंचे थे। शुक्रवार सुबह 11:44 बजे जब जेपी नड्डा समीरपुर पहुंचे, तो पूर्व मुख्यमंत्री धूमल ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। धूमल ने नड्डा और हाल ही में दोबारा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नियुक्त हुए डॉ. राजीव बिंदल को हिमाचली टोपी भेंट कर सम्मानित किया। इस दौरान जेपी नड्डा ने बड़ी आत्मीयता से धूमल का हाथ थामकर यह सम्मान स्वीकार किया।

शुरुआती स्वागत-सत्कार के कुछ ही मिनटों बाद, वहां मौजूद अन्य विधायक और पार्टी कार्यकर्ता कमरे से बाहर आ गए। इसके ठीक पांच मिनट पश्चात प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल भी बाहर निकल आए, जिससे नड्डा और धूमल के बीच एकांत चर्चा का मार्ग प्रशस्त हुआ।
इसके पश्चात, लगभग 35 मिनटों तक जेपी नड्डा और प्रेम कुमार धूमल के बीच बंद दरवाजे के पीछे एकांत में चर्चा हुई। इस गुफ्तगू में किन मुद्दों पर बात हुई, इस बारे में पार्टी की ओर से कोई भी आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की गई है, जिससे अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक इस मुलाकात को प्रदेश भाजपा की भविष्य की रूपरेखा तय करने की दिशा में एक अहम कड़ी मान रहे हैं। माना जा रहा है कि चर्चा का मुख्य केंद्र प्रदेश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति, पार्टी के भीतर आपसी समन्वय को मजबूत करना, आगामी चुनावों की रणनीति तैयार करना और प्रो. धूमल जैसे वरिष्ठ नेताओं की भविष्य में भूमिका तय करना रहा होगा।
इस मौके पर हमीरपुर के विधायक आशीष शर्मा, बड़सर विधायक इंद्र दत्त लखनपाल, पूर्व विधायक राजेंद्र राणा, अनिल धीमान और जिला भाजपा के कई नेता भी मौजूद रहे। कुल मिलाकर, इस हाई-प्रोफाइल मुलाकात ने हिमाचल भाजपा की भावी दिशा को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है, जिसके दूरगामी राजनीतिक संकेत स्पष्ट रूप से देखे जा रहे हैं।