चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल (SAD) के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से फिलहाल कोई फौरी राहत नहीं मिली है। एक हाई-प्रोफाइल मामले में मोहाली की जिला अदालत द्वारा जारी रिमांड आदेश को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर आज सुनवाई हुई, लेकिन एक तकनीकी पेंच के कारण मामले में कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो सकी। अदालत ने अब इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 8 जुलाई, 2025 की तारीख तय की है।
आज सुनवाई के दौरान, पंजाब सरकार की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता (एजी) ने एक महत्वपूर्ण कानूनी दलील पेश की, जिसने सुनवाई की दिशा बदल दी। उन्होंने अदालत को बताया कि बिक्रम मजीठिया ने अपनी याचिका में मोहाली अदालत के 26 जून, 2025 के रिमांड आदेश को चुनौती दी है, जो अब अप्रासंगिक हो चुका है। महाधिवक्ता ने तर्क दिया कि उस आदेश के बाद मामले में नए समन जारी किए जा चुके हैं, इसलिए पुरानी चुनौती का अब कोई कानूनी आधार नहीं बनता है।
सरकार की इस दलील के बाद, अदालत ने मजीठिया के वकील को अपनी याचिका में संशोधन करने और उसे अपडेट करके दोबारा दायर करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि उन्हें मौजूदा परिस्थितियों के अनुसार, यानी नए समन आदेशों को अपनी याचिका में शामिल कर उसे चुनौती देनी चाहिए।

क्या है मजीठिया का पक्ष?
बिक्रम सिंह मजीठिया ने अपनी गिरफ्तारी और उसके बाद मिले रिमांड को पूरी तरह से अवैध और गैर-कानूनी बताते हुए इसे रद्द करने की मांग को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उनका दावा है कि उनके खिलाफ की गई कार्रवाई राजनीतिक द्वेष से प्रेरित है और इसमें कानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया है।
इससे पहले, पिछले सप्ताह गुरुवार को हुई सुनवाई में जस्टिस त्रिभुवन दहिया की पीठ ने मजीठिया के वकील को मामले से संबंधित नवीनतम रिमांड आदेश अदालत के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए एक दिन का समय दिया था। आज की सुनवाई उसी कड़ी में आगे बढ़ी, लेकिन तकनीकी आधार पर स्थगित हो गई।
इस स्थगन का अर्थ है कि मजीठिया की कानूनी लड़ाई एक और तारीख तक खिंच गई है। अब सभी की निगाहें 8 जुलाई को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जहाँ संशोधित याचिका पर दोनों पक्षों के बीच बहस होने की उम्मीद है। यह मामला न केवल कानूनी दृष्टिकोण से, बल्कि पंजाब की राजनीतिक गलियारों में भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।