Punjab: संजीव अरोड़ा ने ली मंत्री पद की शपथ, मान कैबिनेट में मिला उद्योग और NRI विभाग

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब में भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार अपने 39 महीने के कार्यकाल में छठी बार अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने जा रही है। लुधियाना पश्चिम से विधायक संजीव अरोड़ा ने गुरुवार को कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। चंडीगढ़ स्थित राजभवन में आयोजित एक संक्षिप्त और गरिमापूर्ण समारोह में राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।

मात्र 11 मिनट तक चले इस छोटे से समारोह में संजीव अरोड़ा ने पंजाबी भाषा में शपथ ली। इस महत्वपूर्ण अवसर पर मुख्यमंत्री भगवंत मान, उनके मंत्रिमंडल के सभी सहयोगी, कई विधायक और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। संजीव अरोड़ा, भगवंत मान के मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले 17वें मंत्री हैं, जिससे अब मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या 18 हो गई है।

शपथ ग्रहण के तुरंत बाद ही विभागों के आवंटन को लेकर भी स्थिति साफ हो गई है। संजीव अरोड़ा को एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपते हुए उद्योग एवं वाणिज्य के साथ-साथ प्रवासी भारतीय (NRI) मामलों का विभाग दिया गया है। गौरतलब है कि NRI मामलों का विभाग पहले कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल के पास था।

इस फेरबदल के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। कुलदीप सिंह धालीवाल से NRI विभाग वापस लिए जाने के बाद अब यह संभावना बढ़ गई है कि उन्हें कोई अन्य महत्वपूर्ण या बड़ा विभाग सौंपा जा सकता है। माना जा रहा है कि सरकार उनके अनुभव का उपयोग किसी अन्य प्रमुख क्षेत्र में करना चाहती है, जिससे उनके राजनीतिक कद में भी बढ़ोतरी हो सकती है। इस फेरबदल को सरकार की प्रशासनिक और राजनीतिक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य शासन में नई ऊर्जा का संचार करना और विभिन्न विभागों के प्रदर्शन को और बेहतर बनाना है।

उपचुनाव की जीत का इनाम

संजीव अरोड़ा का मंत्री बनना सीधे तौर पर उनकी हालिया चुनावी सफलता से जुड़ा है। लुधियाना पश्चिम विधानसभा सीट पर हुआ उपचुनाव ‘आप’ के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया था, और अरोड़ा ने यहां जीत दर्ज कर पार्टी के विश्वास को कायम रखा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल करना पार्टी की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत जीतने वाले और प्रभावी प्रदर्शन करने वाले नेताओं को पुरस्कृत किया जाता है। इससे पार्टी कार्यकर्ताओं और अन्य नेताओं में भी एक सकारात्मक संदेश जाता है कि मेहनत और सफलता को शीर्ष नेतृत्व द्वारा मान्यता दी जाती है।

मंत्रिमंडल में लगातार फेरबदल: एक विश्लेषण

यह बात गौर करने वाली है कि 39 महीने के कार्यकाल में यह छठा मौका है जब मान मंत्रिमंडल में फेरबदल या विस्तार हो रहा है। यह लगातार हो रहा बदलाव पंजाब की राजनीति में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं।

एक ओर, इसे मुख्यमंत्री भगवंत मान की सक्रिय और परिणाम-उन्मुख कार्यशैली के रूप में देखा जाता है। माना जाता है कि वह प्रदर्शन के आधार पर अपने मंत्रियों के काम का लगातार मूल्यांकन करते हैं और जो मंत्री उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते, उन्हें बदलने में संकोच नहीं करते। इस दृष्टिकोण के समर्थक इसे सरकार में जवाबदेही और गतिशीलता बनाए रखने का एक प्रभावी तरीका मानते हैं।

दूसरी ओर, आलोचक इसे राजनीतिक अस्थिरता या एक मजबूत और स्थिर कोर टीम बनाने में विफलता के संकेत के रूप में देखते हैं। उनका तर्क है कि बार-बार होने वाले बदलावों से विभागों के कामकाज में निरंतरता प्रभावित होती है और मंत्रियों को अपनी पूरी क्षमता से काम करने का पर्याप्त समय नहीं मिल पाता।

दो और चेहरों की अटकलों पर लगा विराम

इस कैबिनेट विस्तार से पहले राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर थी कि संजीव अरोड़ा के साथ दो और नए चेहरों को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। कई वरिष्ठ और युवा विधायकों के नाम संभावित मंत्रियों की सूची में चल रहे थे। यह माना जा रहा था कि पार्टी क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों को साधने के लिए एक बड़े विस्तार पर विचार कर रही है। हालांकि, अंतिम समय में केवल अरोड़ा के नाम पर ही मुहर लगी। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि पार्टी नेतृत्व ने फिलहाल एक सीमित विस्तार का ही फैसला किया है। इस फैसले ने उन अन्य विधायकों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है जो मंत्री पद की दौड़ में शामिल थे, लेकिन इससे भविष्य में फेरबदल की संभावनाएं भी जीवित रहती हैं।

आगे की राह और चुनौतियां

संजीव अरोड़ा के मंत्री बनने के साथ ही मान मंत्रिमंडल अपनी अधिकतम क्षमता तक पहुंच गया है। इसका सीधा मतलब है कि भविष्य में किसी भी नए मंत्री को शामिल करने के लिए किसी मौजूदा मंत्री को अपने पद से हटना होगा। यह स्थिति मुख्यमंत्री के लिए भविष्य के फैसलों को और भी चुनौतीपूर्ण बना देगी।

अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि संजीव अरोड़ा को कौन सा महत्वपूर्ण विभाग सौंपा जाता है। लुधियाना पंजाब का एक प्रमुख औद्योगिक और व्यावसायिक केंद्र है, और वहां से एक विधायक को मंत्री बनाने से सरकार उस क्षेत्र की समस्याओं और आकांक्षाओं को सीधे संबोधित करने का एक संदेश भी दे रही है। अरोड़ा के सामने अपने क्षेत्र के साथ-साथ पूरे राज्य के लिए सौंपे गए विभाग की जिम्मेदारियों पर खरा उतरने की बड़ी चुनौती होगी।

 

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