चंडीगढ़।
राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के अवसर पर पंजाब सरकार ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने मंगलवार को ‘पंजाब स्टेमी प्रोजेक्ट’ के राज्यव्यापी विस्तार का उद्घाटन किया। “मिशन अमृत” (Acute Myocardial Reperfusion In Time) के नाम से भी जानी जाने वाली इस महत्वाकांक्षी पहल के तहत, अब पंजाब के सभी 23 जिलों के जिला और उप-विभागीय अस्पतालों को गंभीर दिल के दौरे (हार्ट अटैक) की स्थिति में तुरंत जीवन-रक्षक उपचार देने के लिए सशक्त बनाया गया है।
इस परियोजना के लॉन्च के दौरान स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि अब हार्ट अटैक के मरीजों को खून का थक्का घोलने वाली ‘टेनेक्टेप्लेस’ (Tenecteplase) दवा मुफ्त में दी जाएगी, जिसकी बाजार में कीमत लगभग ₹30,000 है। यह दवा “गोल्डन आवर” के भीतर मरीज की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
क्या है ‘मिशन अमृत’ और यह क्यों जरूरी है?
डॉ. बलबीर सिंह ने बताया कि पहले राज्य में सीने में दर्द से पीड़ित मरीजों को इलाज के लिए अस्पताल पहुंचने में औसतन 2-3 घंटे की देरी हो जाती थी। कई स्थानीय अस्पतालों में तत्काल निदान और उपचार की क्षमता न होने के कारण मरीजों को बड़े अस्पतालों में रेफर करने में और भी समय लगता था, जिससे अक्सर वे इलाज के लिए महत्वपूर्ण ‘गोल्डन आवर’ (सुनहरा घंटा) खो देते थे।
‘मिशन अमृत’ इस चुनौती से निपटने के लिए एक अभिनव ‘हब एंड स्पोक’ मॉडल पर काम करता है। इस मॉडल के तहत, राज्य के सभी जिला और उप-विभागीय अस्पताल ‘स्पोक’ केंद्र के रूप में काम करेंगे, जहाँ हार्ट अटैक के मरीज का शुरुआती निदान और प्रबंधन किया जाएगा। इन ‘स्पोक’ केंद्रों को विशेषज्ञ ‘हब’ अस्पतालों से जोड़ा गया है, जिनमें डीएमसीएच लुधियाना और जीएमसीएच-32 चंडीगढ़ के अलावा पटियाला, फरीदकोट, अमृतसर के सरकारी मेडिकल कॉलेज और एम्स बठिंडा शामिल हैं।
कैसे काम करेगा यह सिस्टम?
जैसे ही कोई हार्ट अटैक का मरीज ‘स्पोक’ केंद्र (जिला अस्पताल) में पहुंचेगा, उसका तुरंत ईसीजी किया जाएगा। टेली-ईसीजी के माध्यम से ‘हब’ केंद्र (बड़ा मेडिकल कॉलेज) में बैठे विशेषज्ञ कार्डियोलॉजिस्ट तुरंत रिपोर्ट देखकर इलाज के लिए मार्गदर्शन देंगे। उनकी देखरेख में मरीज को तत्काल मुफ्त में टेनेक्टेप्लेस इंजेक्शन दिया जाएगा। मरीज की हालत स्थिर होने के बाद, उसे आगे के बेहतर इलाज के लिए ‘हब’ केंद्र में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
डॉ. बलबीर सिंह ने इसे स्वास्थ्य सेवा के लिए एक ऐतिहासिक दिन बताते हुए कहा कि इस परियोजना की सफलता के लिए 700 से अधिक डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को डीएमसीएच लुधियाना में विशेषज्ञ प्रशिक्षण दिया गया है।
इस अवसर पर डीएमसीएच लुधियाना के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. बिशव मोहन ने कहा कि लोगों को दिल के दौरे के लक्षणों के बारे में जागरूक होने की जरूरत है, जिसे वे अक्सर गैस या एसिडिटी की समस्या समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। उन्होंने कहा कि यह पहल ‘गोल्डन आवर’ में मरीजों को उन्नत उपचार सुनिश्चित करके उनकी जान बचाने में मील का पत्थर साबित होगी। कार्यक्रम के अंत में स्वास्थ्य मंत्री ने राज्य भर के 12 डॉक्टरों को समय पर मरीजों की जान बचाने के लिए सम्मानित भी किया।
Pls read:Punjab: SC परिवारों का ₹8.72 करोड़ का कर्ज माफ- डॉ. बलजीत कौर