देहरादून। मानसून के दौरान आने वाली आपदाओं से निपटने के लिए उत्तराखंड ने अपनी तैयारियों को परखने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों पर सोमवार को राज्य के पांच सबसे अधिक बाढ़ और जलभराव प्रभावित जिलों में एक साथ मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, देहरादून और चम्पावत के 23 अलग-अलग स्थानों पर हुई इस मॉक ड्रिल का मुख्य उद्देश्य आपदा के समय विभिन्न विभागों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना और राहत-बचाव कार्यों की प्रभावशीलता का आकलन करना था।
राज्य और जिला स्तर पर हुई निगरानी
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) द्वारा आयोजित इस मॉक ड्रिल की निगरानी सीधे राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (SEOC) से की गई। वहीं, संबंधित जिलों के जिलाधिकारियों ने जिला आपातकालीन परिचालन केंद्रों (DEOC) में मौजूद रहकर रिस्पांसिबल ऑफिसर के रूप में पूरी ड्रिल का संचालन किया। SEOC में आपदा प्रबंधन सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष विनय कुमार रुहेला और सचिव विनोद कुमार सुमन ने जिला अधिकारियों से ड्रिल के दौरान संचालित गतिविधियों की जानकारी ली। राहत शिविरों, स्टेजिंग एरिया और घटनास्थल पर की जा रही कार्रवाई को लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए बारीकी से परखा गया।
शानदार समन्वय और त्वरित प्रतिक्रिया
मॉक ड्रिल के दौरान विभिन्न विभागों के बीच शानदार समन्वय देखने को मिला। घटना की सूचना मिलते ही राहत और बचाव दलों ने त्वरित प्रतिक्रिया दी और उनका रिस्पांस टाइम भी काफी बेहतर रहा। अधिकारियों से पूछा गया कि घटना की सूचना मिलने पर उन्होंने कैसे प्रतिक्रिया की, घटनास्थल पर पहुंचने में कितना समय लगा और किन संसाधनों का इस्तेमाल किया गया।
सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि मॉक ड्रिल काफी हद तक सफल रही और इसका उद्देश्य विभिन्न विभागों के बीच समन्वय को मजबूत करना था, जिसमें सफलता मिली है। उन्होंने कहा, “कुछ कमियां दिखी हैं, जिन्हें दूर किया जाएगा ताकि वास्तविक आपदा के समय किसी भी तरह की कोई बाधा न आए। इस ड्रिल का उद्देश्य ही ऐसे गैप्स की पहचान करना था।”
मॉक ड्रिल में क्या-क्या हुआ? (प्रमुख घटनाएं)
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ऋषिकेश: त्रिवेणी घाट पर जलस्तर बढ़ने से दो लोगों के बहने की सूचना पर SDRF और जल पुलिस ने तुरंत रेस्क्यू कर उन्हें बचाया।
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डोईवाला: सोंग नदी का पानी केसरपुर बस्ती में घुसने पर लोगों को सुरक्षित निकालकर राहत शिविरों में पहुंचाया गया।
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हरिद्वार: विष्णुघाट पर भगदड़ मचने और 20 कांवड़ियों के नदी में कूदने की घटना पर SDRF और NDRF ने सभी को सुरक्षित बचाया।
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ऊधमसिंहनगर: बाजपुर में गूलरभोज/हरिपुरा डैम का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंचने पर ग्रामीणों को अलर्ट कर राहत शिविरों में शिफ्ट किया गया।
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नैनीताल: देवखड़ी नाले में जलस्तर बढ़ने से खतरे की जद में आए परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया गया।
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चम्पावत: देवीपुरा गांव में जलभराव में फंसे 25 परिवारों को राफ्ट से निकालकर राहत शिविर पहुंचाया गया। गांव में मगरमच्छ देखे जाने की सूचना पर वन विभाग की टीम ने गश्त की।
आपदा प्रबंधन सचिव ने कहा कि आपदाओं के लिहाज से संवेदनशील उत्तराखंड में ऐसी मॉक ड्रिल तैयारियों के आकलन के लिए बेहद जरूरी हैं। उन्होंने बताया कि आने वाले महीनों में स्कूल-कॉलेजों, अस्पतालों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर भूकंप, अग्निकांड और भगदड़ जैसी आपदाओं पर भी मॉक अभ्यास किया जाएगा।