चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शनिवार को हरियाणा के साथ जल बंटवारे विवाद और केंद्र सरकार के रवैये पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने भाखड़ा और नंगल डैम पर सीआईएसएफ की तैनाती को अनुचित बताया। दिल्ली में नीति आयोग की बैठक में उन्होंने कहा कि पंजाब के पास किसी भी राज्य को देने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है। उन्होंने सतलुज-यमुना लिंक (SYL) के बजाय यमुना-सतलुज लिंक (YSL) नहर बनाने की मांग की।
जल बंटवारे पर विवाद
मुख्यमंत्री मान ने कहा कि रावी, ब्यास और सतलुज नदियों में पहले ही पानी की कमी है। 12 मार्च 1954 को पंजाब और उत्तर प्रदेश के बीच हुए यमुना-सतलुज लिंक समझौते का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि पंजाब को यमुना के पानी का दो-तिहाई हिस्सा मिलना चाहिए था, लेकिन इस समझौते में सिंचाई क्षेत्र का उल्लेख नहीं था। उन्होंने कहा कि पुनर्गठन से पहले यमुना, रावी और ब्यास पंजाब से होकर बहती थीं, लेकिन पंजाब और हरियाणा के बीच जल बंटवारे में यमुना के पानी को शामिल नहीं किया गया।
1972 की रिपोर्ट और यमुना पर अधिकार

1972 की केंद्रीय सिंचाई आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए सीएम मान ने कहा कि पुनर्गठन के बाद पंजाब यमुना नदी बेसिन में आता है। यदि हरियाणा रावी और ब्यास के पानी पर दावा करता है, तो पंजाब को भी यमुना के पानी पर समान अधिकार मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि यमुना पर भंडारण संरचनाओं की कमी के कारण पानी बर्बाद हो रहा है।
बीबीएमबी पर पक्षपात का आरोप
मुख्यमंत्री ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) पर पक्षपातपूर्ण रवैये का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पंजाब ने हमेशा अन्य राज्यों के साथ पानी साझा किया है, लेकिन अब राज्य का भूजल स्तर खतरनाक रूप से कम हो गया है। पंजाब के 153 में से 115 ब्लॉक (76.10%) अति-दोहन की स्थिति में हैं। उन्होंने कहा कि नहर संरचना के बावजूद पंजाब में पानी की कमी है और नदियों से मिलने वाला पानी उसकी जरूरतों को पूरा नहीं कर रहा।
भाखड़ा-नंगल पर सीआईएसएफ तैनाती का विरोध
भाखड़ा और नंगल बांध पर सीआईएसएफ की तैनाती का विरोध करते हुए सीएम मान ने कहा कि बांधों की सुरक्षा राज्यों की जिम्मेदारी है। उन्होंने केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के इस कदम को अनावश्यक बताया और कहा कि इससे पंजाब के अधिकारों का हनन हो रहा है। उन्होंने तैनाती वापस लेने की मांग की।
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