US: हार्वर्ड के विदेशी छात्रों को राहत, ट्रंप प्रशासन के फैसले पर अदालत ने लगाई रोक

वाशिंगटन। अमेरिका की एक संघीय अदालत ने ट्रंप प्रशासन के उस फैसले पर रोक लगा दी है जिसमें हार्वर्ड विश्वविद्यालय की विदेशी छात्रों को दाखिला देने की पात्रता रद्द कर दी गई थी। जज एलिसन बेरोज ने हार्वर्ड की अपील पर सुनवाई करते हुए संवैधानिक उल्लंघन का हवाला देते हुए यह अस्थायी रोक लगाई है, जिससे भारतीयों समेत हजारों विदेशी छात्रों को फौरी राहत मिली है। ट्रंप प्रशासन इस फैसले के खिलाफ अपील कर सकता है।

गृह सुरक्षा विभाग द्वारा हार्वर्ड विश्वविद्यालय में चल रही जांच के तहत ट्रंप प्रशासन ने गुरुवार को हार्वर्ड की विदेशी छात्रों को दाखिला देने की पात्रता रद्द कर दी थी। इस फैसले से हजारों विदेशी छात्रों, जिनमें बड़ी संख्या में भारतीय छात्र भी शामिल हैं, का भविष्य खतरे में पड़ गया था। हार्वर्ड ने इस फैसले को प्रथम संशोधन का उल्लंघन बताते हुए बोस्टन की संघीय अदालत में ट्रंप प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। हार्वर्ड का कहना था कि सरकार की इस कार्रवाई का विश्वविद्यालय और लगभग सात हजार वीजा धारकों पर तत्काल और विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा।

गृह सुरक्षा मंत्री क्रिस्टी नोएम ने गुरुवार को हार्वर्ड को एक पत्र लिखकर अंतरराष्ट्रीय छात्रों को दाखिला देने की उसकी पात्रता रद्द करने की जानकारी दी थी। इस फैसले को विश्वविद्यालय और ट्रंप प्रशासन के बीच बढ़ते टकराव के रूप में देखा जा रहा है।

हार्वर्ड के विभिन्न स्कूलों में 100 से अधिक देशों के 6800 से ज्यादा छात्र पंजीकृत हैं, जिनमें 1203 चीनी छात्र भी शामिल हैं। हार्वर्ड इंटरनेशनल ऑफिस की वेबसाइट के अनुसार, 2024-2025 शैक्षणिक वर्ष में हार्वर्ड के सभी स्कूलों में 788 भारतीय छात्र और शोधार्थी पंजीकृत हैं।

गृह सुरक्षा मंत्री क्रिस्टी नोएम के पत्र के अनुसार, यह फैसला 2025-2026 शैक्षणिक सत्र से प्रभावी होगा। वर्तमान सेमेस्टर में अपनी डिग्री पूरी करने वाले छात्रों को स्नातक होने की अनुमति होगी, लेकिन जिन छात्रों की डिग्री अभी पूरी नहीं हुई है, उन्हें दूसरे विश्वविद्यालयों में स्थानांतरित होना होगा, अन्यथा वे अमेरिका में रहने का अपना कानूनी अधिकार खो देंगे।

नोएम ने कहा है कि अगर हार्वर्ड 72 घंटों के भीतर प्रशासन की कुछ मांगों को पूरा करता है, तो विदेशी छात्रों को दाखिला देने की उसकी पात्रता बहाल की जा सकती है। इन मांगों में विदेशी छात्रों का अनुशासनात्मक रिकॉर्ड और विरोध प्रदर्शनों की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग शामिल हैं। हार्वर्ड पहले ही इस तरह के रिकॉर्ड देने से इनकार कर चुका है।

हार्वर्ड और ट्रंप प्रशासन के बीच टकराव अप्रैल में शुरू हुआ था, जब विश्वविद्यालय ने फलस्तीन समर्थक प्रदर्शनों को सीमित करने और विविधता, समानता, और समावेशन संबंधी नीतियों को खत्म करने की प्रशासन की मांगों को मानने से इनकार कर दिया था। इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रपति ट्रंप ने हार्वर्ड के लिए अरबों डॉलर के शोध अनुदान और अन्य सहायता पर रोक लगा दी थी। नोएम ने कहा कि प्रशासन हार्वर्ड को अपने परिसरों में हिंसा, यहूदी-विरोधी भावना को बढ़ावा देने और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ समन्वय के लिए जिम्मेदार मानता है।

 

Pls read:US: अमेरिकी टैरिफ के बावजूद भारत में आईफोन उत्पादन सस्ता: GTRI रिपोर्ट

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *