शिमला, 21 मई: मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि तुर्की से सेब के आयात को हतोत्साहित करने और हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए सेब पर मौजूदा 50 प्रतिशत आयात शुल्क को बढ़ाकर कम से कम 100 प्रतिशत किया जाए। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि आयातित सेबों पर मात्रात्मक प्रतिबंध भी लगाए जाने चाहिए।
प्रधानमंत्री को पत्र:
प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र में, मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को देश के ‘सेब के कटोरे’ के रूप में जाना जाता है और यह सेब की स्वादिष्ट किस्मों के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। सेब राज्य की प्रमुख नकदी फसल है और सालाना लगभग 4500 करोड़ रुपये की आय होती है। उन्होंने कहा कि सेब की फसल से लगभग 10 लाख मानव-दिवस पैदा होते हैं, जिससे 2.50 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलता है।
तुर्की से आयात में वृद्धि:
सुक्खू ने कहा कि वर्तमान में लगभग 31 देशों से सेब का आयात किया जा रहा है और वर्ष 2024 के दौरान लगभग 5.19 लाख मीट्रिक टन ताजा सेब का आयात किया गया, जो वर्ष 1998 के दौरान आयात किए गए 1100 मीट्रिक टन की तुलना में 500 गुना अधिक है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 के दौरान तुर्की से आयात हिस्सेदारी में वृद्धि हुई और 2023 के दौरान 1.29 लाख मीट्रिक टन के साथ सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गई। 2024 के दौरान तुर्की से 1.17 लाख मीट्रिक टन का आयात किया गया, जो कुल सेब आयात का 23 प्रतिशत है।
स्थानीय उत्पादकों के लिए ख़तरा:
मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल के वर्षों में तुर्की के सेब भारतीय बाजारों में भर गए हैं, जिससे देश के सेब उत्पादकों के लिए एक बड़ा ख़तरा पैदा हो गया है। तुर्की से सेबों की आमद ने न केवल स्थानीय सेब उत्पादकों की प्रतिस्पर्धात्मकता को कम किया है, बल्कि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के छोटे और सीमांत सेब उत्पादकों की आजीविका को भी खतरे में डाल दिया है।
प्रधानमंत्री से व्यक्तिगत रूप से करेंगे बात:
सुक्खू ने कहा कि वह अपनी आगामी दिल्ली यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री के साथ तुर्की से खरीदे जा रहे सेबों पर आयात शुल्क बढ़ाने के मुद्दे को व्यक्तिगत रूप से भी उठाएंगे।