देहरादून: उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के तहत आईजी गढ़वाल परिक्षेत्र राजीव स्वरूप ने उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम (यूपीआरएनएन) के पूर्व अधिकारियों द्वारा किए गए 136 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को हर 15 दिन में जांच की प्रगति रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं.
मामला:
यूपीआरएनएन के तत्कालीन परियोजना प्रबंधक, परियोजना महाप्रबंधक और सहायक लेखाधिकारी पर 2012 से 2018 के बीच विभिन्न निर्माण कार्यों में 136 करोड़ रुपये का घोटाला करने का आरोप है. यह घोटाला 2019 में हुई जांच के बाद सामने आया. नेहरू कॉलोनी थाने में छह मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जिनमें पांच आरोपी हैं.
यूपीआरएनएन को मिले प्रोजेक्ट:
यूपीआरएनएन को उत्तराखंड सरकार द्वारा कई प्रोजेक्ट दिए गए थे, जिनमें 15 राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, आपदा राहत केंद्र, पर्यटन विभाग के निर्माण कार्य, दून मेडिकल कॉलेज का ओपीडी ब्लॉक, और औद्योगिक आस्थानों में स्ट्रीट लाइट शामिल हैं.
घोटाले का तरीका:

आरोप है कि यूपीआरएनएन के पूर्व अधिकारियों ने लेखा अधिकारी के साथ मिलकर धनराशि का दुरुपयोग किया. एक कार्य के लिए आवंटित धन को दूसरे कार्यों में दिखाया गया. एक प्रोजेक्ट में बिना जमीन अधिग्रहण किए ही करोड़ों का भुगतान कर दिया गया.
आरोपी:
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शिव आसरे शर्मा, पूर्व परियोजना महाप्रबंधक
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प्रदीप कुमार शर्मा, पूर्व परियोजना प्रबंधक
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वीरेंद्र कुमार, बर्खास्त सहायक लेखाधिकारी
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राम प्रकाश गुप्ता, सेवानिवृत्त सहायक लेखाधिकारी
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सतीश कुमार उपाध्याय, सेवानिवृत्त स्थानिक अभियंता
यूपीआरएनएन पहले भी विवादों में:
यूपीआरएनएन इससे पहले भी सिडकुल घोटाले में विवादों में रहा है. इस मामले में सिडकुल की पूर्व सहायक महाप्रबंधक और दो अन्य के खिलाफ फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर नियुक्ति पाने का मामला दर्ज किया गया था. 2012 से 2017 के बीच सिडकुल द्वारा यूपीआरएनएन को दिए गए निर्माण कार्यों में वित्तीय अनियमितता की शिकायत पर 2018 में जांच शुरू हुई थी.
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