चंडीगढ़/नई दिल्ली: पंजाब के कृषि और किसान कल्याण मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने गुरुवार को केंद्र सरकार से खरीफ सीजन में धान के विकल्प के रूप में फसल विविधीकरण अपनाने वाले किसानों को 17,500 रुपये प्रति हेक्टेयर नकद प्रोत्साहन प्रदान करने का आग्रह किया.
खुड्डियां ने कहा कि केंद्र सरकार ने 10 जून, 2024 के अपने पत्र में धान प्रतिस्थापन के लिए फसल विविधीकरण कार्यक्रम (CDP) के लिए संशोधित दिशानिर्देश जारी किए थे, जिसमें खरीफ सीजन के दौरान मक्का और कपास जैसी वैकल्पिक फसलों को अपनाने वाले किसानों को 17,500 रुपये प्रति हेक्टेयर (प्रति किसान अधिकतम 5 हेक्टेयर तक) नकद प्रोत्साहन देने का उल्लेख किया गया था. इसके बाद भारत सरकार ने पिछले साल नवंबर और दिसंबर में दो और पत्र जारी किए, लेकिन वित्तीय सहायता पर चुप्पी साधे रही, जिससे किसान अनिश्चितता में हैं.
पंजाब के कृषि मंत्री यहां पूसा परिसर, नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन-खरीफ अभियान-2025 में भाग लेने आए थे. केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज चौहान ने इस राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया.
खुड्डियां ने कहा कि राज्य सरकार पहले ही भारत सरकार से धान के अवशेषों के प्रबंधन पर होने वाले अतिरिक्त खर्च के एवज में प्रति एकड़ प्रोत्साहन प्रदान करके और इस प्रकार पराली जलाने और वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सहयोग करने का अनुरोध कर चुकी है. उन्होंने दोहराया कि पंजाब सरकार भी इस पहल में योगदान देने को तैयार है.

उर्वरकों की निरंतर आपूर्ति की मांग करते हुए पंजाब के कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य केंद्रीय पूल में लगभग 21% धान और 46% गेहूं का योगदान देता है और यह उर्वरकों की वांछित मात्रा की निरंतर आपूर्ति के कारण संभव हुआ है. उन्होंने कहा कि रबी सीजन के दौरान, आम तौर पर फॉस्फेटिक उर्वरकों की कमी होती है, इसलिए यह आवश्यक है कि खरीफ सीजन में उर्वरकों की निरंतर आपूर्ति बनाए रखी जाए.
खुड्डियां ने केंद्र सरकार से गेहूं के बीज पर सब्सिडी जारी रखने की भी अपील की, जो बढ़ती आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अनुमान के अनुसार, देश में 345 मिलियन मीट्रिक टन खाद्यान्न की आवश्यकता होगी, जो वर्तमान में 298.82 मीट्रिक टन है. इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए देश को इन फसलों के उत्पादन के तहत क्षेत्र बढ़ाना चाहिए.
ICAR के अनुसार, हर साल 33% गेहूं के बीजों को बदलने की आवश्यकता है, जिसके लिए लगभग 20 करोड़ रुपये की आवश्यकता होती है. हालांकि, भारत सरकार ने NFSM और RKVY योजनाओं के तहत गेहूं के बीजों पर सब्सिडी बंद कर दी है. कृषि मंत्री ने अनुरोध किया कि देश की बढ़ती आबादी का पेट भरने के व्यापक हित में यह सब्सिडी जारी रखी जानी चाहिए.
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