चंडीगढ़: सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पंजाब और हरियाणा सरकारों को केंद्र के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया ताकि इस लंबे समय से चले आ रहे विवाद का समाधान निकाला जा सके। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने यह निर्देश केंद्र सरकार द्वारा सूचित किए जाने के बाद दिया कि उसने इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने के लिए प्रभावी कदम उठाए हैं।
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, “हम दोनों राज्यों को सौहार्दपूर्ण समाधान पर पहुंचने में भारत संघ के साथ सहयोग करने का निर्देश देते हैं।” अदालत ने आगे कहा कि यदि मामला 13 अगस्त तक नहीं सुलझता है, तो वह इस पर आगे सुनवाई करेगी।
केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पीठ को बताया कि केंद्र ने मध्यस्थता के प्रयास किए हैं, लेकिन राज्यों को भी अपनी बात पर अमल करना होगा।

एसवाईएल नहर, जिसकी परिकल्पना रावी और व्यास नदियों के पानी के प्रभावी आवंटन के लिए की गई थी, 214 किलोमीटर लंबी होनी थी। इसमें से 122 किलोमीटर पंजाब में और 92 किलोमीटर हरियाणा में बननी थी। हरियाणा ने अपने हिस्से का निर्माण पूरा कर लिया है, लेकिन पंजाब ने 1982 में निर्माण शुरू करने के बाद इसे रोक दिया था। यही कारण है कि यह विवाद दशकों से चला आ रहा है।
शीर्ष अदालत ने 15 जनवरी, 2002 को हरियाणा द्वारा 1996 में दायर एक मुकदमे में उसके पक्ष में फैसला सुनाया था और पंजाब सरकार को एसवाईएल नहर के अपने हिस्से का निर्माण पूरा करने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद, मामला अभी तक अनसुलझा है।
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