Uttarakhand: उत्तराखंड में जातीय जनगणना से बदलेंगे सामाजिक-राजनीतिक समीकरण

देहरादून: केंद्र सरकार द्वारा अगली जनगणना में जातीय जनगणना को शामिल करने के फैसले से उत्तराखंड के सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव आने की संभावना है. इससे राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की राजनीतिक उपस्थिति और मजबूत होगी, खासकर हरिद्वार, ऊधम सिंह नगर और उत्तरकाशी जैसे जिलों में, जहाँ OBC आबादी काफ़ी ज़्यादा है.

OBC आबादी का प्रभाव:

  • उत्तरकाशी: उत्तरकाशी जिले में OBC जनसंख्या सबसे अधिक है.

  • हरिद्वार: हरिद्वार में लगभग 56% आबादी OBC वर्ग की है.

  • ऊधम सिंह नगर: ऊधम सिंह नगर में लगभग 45% आबादी OBC वर्ग की है.

  • देहरादून: देहरादून में OBC आबादी लगभग 34% है.

  • अन्य पर्वतीय जिले: अन्य पर्वतीय जिलों में OBC आबादी 5% से कम है. नैनीताल में यह लगभग 6% है.

राजनीतिक दलों के लिए नई चुनौती:

जातीय जनगणना के आंकड़े आने के बाद राजनीतिक दलों को अपनी रणनीतियों में बदलाव करना होगा. विधानसभा, नगर निकाय और पंचायत चुनावों में OBC वर्ग के मतदाताओं को साधने के लिए नए समीकरण बनाने होंगे.

वर्तमान स्थिति:

  • उत्तराखंड की जनसंख्या: लगभग सवा करोड़.

  • अनुसूचित जाति: 19%.

  • अनुसूचित जनजाति: 3%.

  • OBC और सामान्य वर्ग: 78%.

  • विधानसभा सीटें: 70 (12 SC और 2 ST के लिए आरक्षित).

जातीय जनगणना का महत्व:

जातीय जनगणना से जनसंख्या की अद्यतन स्थिति का पता चलेगा और OBC वर्ग की वास्तविक संख्या सामने आएगी. इससे OBC आरक्षण को लेकर चल रही बहस को भी बल मिलेगा. वर्तमान में उत्तराखंड विधानसभा में OBC के लिए कोई सीट आरक्षित नहीं है. जातीय जनगणना के बाद OBC आरक्षण पंचायत चुनाव के लिए भी लागू हो सकेगा.

मुख्यमंत्री धामी का बयान:

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जातीय जनगणना के फैसले का स्वागत करते हुए इसे ऐतिहासिक और दूरदर्शी बताया है. उन्होंने कहा कि यह फैसला सामाजिक न्याय की भावना को मजबूत करेगा और सभी वर्गों के संतुलित विकास में मदद करेगा. उन्होंने इसे ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ की भावना को मजबूती देने वाला बताया है.

 

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