Himachal: हिमाचल को हरित ऊर्जा राज्य बनाने की दिशा में अग्रसर: मुख्यमंत्री सुक्खू

शिमला: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि राज्य सरकार मार्च 2026 तक हिमाचल को हरित ऊर्जा राज्य बनाने के लक्ष्य की ओर अग्रसर है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ इसके लिए बुनियादी ढांचे का विस्तार कर रही है।

मुख्यमंत्री कसौली विधानसभा क्षेत्र के गांधी ग्राम में अखिल भारतीय मोटर परिवहन कांग्रेस के ‘राष्ट्रीय ट्रक और बस सम्मेलन’ की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण दुनिया भर के पर्यटकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य है. पर्यटकों की बढ़ती संख्या पर्यावरण को भी प्रभावित करती है, इसलिए राज्य सरकार पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास पर विशेष ध्यान देते हुए पर्यटन ढांचे को मजबूत कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रीनहाउस गैसें प्रदूषण का मुख्य कारण हैं और परिवहन क्षेत्र से ही 16-20 प्रतिशत ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है. यह स्थिति पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बन रही है. राज्य में पेट्रोल और डीजल वाहनों की बढ़ती संख्या प्रदूषण का एक बड़ा कारण है, जो चिंता का विषय है. इसे ध्यान में रखते हुए, सरकार ने ई-वाहनों के उपयोग को बढ़ाने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि सरकार का यह कदम वायु प्रदूषण को कम करने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी मददगार साबित हो रहा है.

मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार ने 680 करोड़ रुपये की राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्ट-अप योजना शुरू की है, जिसमें युवाओं को ई-टैक्सी खरीदने के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है. इन ई-टैक्सियों को विभिन्न सरकारी विभागों, निगमों, बोर्डों और अन्य संस्थानों से भी जोड़ा गया है. ई-टैक्सी योजना के तहत अब तक 50 ई-टैक्सियों को सरकारी विभागों से जोड़ा गया है और 10 मई से पहले 50 और ई-टैक्सियों को मंजूरी दी जाएगी.

“मैं पिछले कुछ समय से ई-वाहन का उपयोग कर रहा हूँ, जो बहुत किफायती है,” उन्होंने कहा कि इस साल सरकार ने 3000 पेट्रोल और डीजल वाहनों को ई-वाहनों में बदलने का लक्ष्य रखा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के लोगों और पर्यटकों को स्वच्छ और हरित परिवहन प्रदान करने के लिए, सरकार चरणबद्ध तरीके से डीजल बसों को ई-बसों में बदल रही है. HRTC ने 412 करोड़ रुपये की लागत से 297 इलेक्ट्रिक बसें खरीदने के लिए टेंडर जारी किए हैं और 124 करोड़ रुपये की लागत से बस स्टेशनों पर चार्जिंग स्टेशन भी स्थापित किए जा रहे हैं. इन ई-बसों की खरीद के अलावा, वित्तीय वर्ष 2025-26 में 500 और ई-बसें खरीदी जाएंगी.

उन्होंने कहा कि राज्य में छह ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए हैं और जल्द ही इन कॉरिडोर में 41 अतिरिक्त चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे. वर्तमान सरकार ने ई-वाणिज्यिक वाहनों के पंजीकरण पर सड़क कर में 100 प्रतिशत और विशेष सड़क कर में 50 प्रतिशत की छूट दी है. पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से राज्य में चलने वाले सभी पेट्रोल और डीजल ऑटो रिक्शा को ई-ऑटो रिक्शा से बदला जा रहा है.

युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से सरकार निजी क्षेत्र को 1,000 बस मार्गों के लिए नए परमिट प्रदान करने जा रही है. सरकार इन मार्गों पर ई-वाहनों यानी बसों या टेंपो ट्रैवलर पर 40 प्रतिशत तक की सब्सिडी दे रही है और निकट भविष्य में सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र को पूरी तरह से विद्युतीकृत करने का प्रयास किया जा रहा है.

राज्य में ई-वाहनों को बढ़ावा देने के लिए पहले चरण में जिला हमीरपुर के सभी सरकारी कार्यालयों में ई-वाहनों का इस्तेमाल किया जाएगा. उन्होंने कहा, “राज्य सरकार हरित उद्योग को प्रोत्साहित कर रही है. पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है और यह हिमाचल प्रदेश में निवेश का सही समय है.”

इस अवसर पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. (कर्नल) धनी राम शांडिल, उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान, विधायक विनोद सुल्तानपुरी और संजय अवस्थी, उपाध्यक्ष हिमाचल प्रदेश वन विकास निगम केहर सिंह खाची, अध्यक्ष जोगिंद्रा बैंक मुकेश शर्मा, अध्यक्ष APMC सोलन रोशन ठाकुर, निदेशक उद्योग यूनुस, निदेशक पर्यटन विवेक भाटिया, राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय मोटर परिवहन कांग्रेस डॉ. हरीश सभरवाल, सह-अध्यक्ष राकेश त्रेहान, सम्मेलन के अध्यक्ष भीम वाधवा और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.

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