Himachal: बाबा साहेब को सम्मान भाजपा के शासनकाल में ही मिला: जयराम ठाकुर

नाहन: हिमाचल प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सिरमौर जिले में आयोजित बाबा साहेब सम्मान अभियान को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी के बाद देश के सामने दो बड़ी चुनौतियां थीं – रियासतों का विलय और संविधान निर्माण। सरदार वल्लभभाई पटेल को जहां रियासतों के विलय का जिम्मा मिला, वहीं बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर को संविधान निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई। जयराम ठाकुर के अनुसार, तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू इन दोनों नेताओं को यह जिम्मेदारियां देने के इच्छुक नहीं थे।

उन्होंने आरोप लगाया कि नेहरू बाबा साहेब को पसंद नहीं करते थे और हमेशा उनका अपमान करते थे। उन्होंने बाबा साहेब को अपने जीवनकाल में सरकार से दूर रखने का प्रयास किया और उनकी मृत्यु के बाद भी उनके शव का अपमान किया। जयराम ठाकुर ने दावा किया कि बाबा साहेब को सच्चा सम्मान तब मिला जब भारतीय जनता पार्टी के सहयोग से सरकार बनी। 1990 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे जुड़ी स्मृतियों को पंच तीर्थ बनाकर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी है।

इसी तरह सरदार पटेल को सम्मान देने के लिए भी भाजपा सरकार ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण किया। जयराम ठाकुर ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस के नेता देश में संविधान बचाओ यात्रा निकाल रहे हैं और संविधान को खतरे में बता रहे हैं, जबकि हकीकत में संविधान प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूरी तरह सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का यह झूठा प्रचार बेनकाब हो चुका है और जनता ने उन्हें नकार दिया है। उन्होंने भविष्यवाणी की कि आने वाले समय में कांग्रेस का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।

ठाकुर ने आगे कहा कि कांग्रेस ने हमेशा बाबा साहेब के खिलाफ साजिशें रचीं और उनका अपमान किया। उन्होंने बाबा साहेब की क्षमताओं और शिक्षा का लाभ देश को नहीं उठाने दिया। उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर रखा गया और लोकसभा का उपचुनाव हराने के लिए साजिशें रची गईं। 1952 के लोकसभा उपचुनाव में 74333 मतों को अमान्य करार देकर कांग्रेस ने पहली बार जनादेश की चोरी का प्रयास किया। 1937 के बॉम्बे प्रेसीडेंसी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने डॉ. अंबेडकर को हराने के लिए प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी बालू पालवंकर को उनके खिलाफ मैदान में उतारा। हालांकि, बालू पालवंकर चुनाव हार गए, लेकिन इस प्रयास ने कांग्रेस की डॉ. अंबेडकर के विरोध की भावना को उजागर किया। इसी प्रकार कांग्रेस के बंबई प्रीमियर, बीजी खरे ने यह सुनिश्चित किया कि डॉ. अंबेडकर को संविधान सभा में चुना न जाए। जयराम ठाकुर ने मांग की कि कांग्रेस को बाबा साहेब के साथ किए गए अपने व्यवहार के लिए माफी मांगनी चाहिए।

 

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