शिमला: हर साल 15 अप्रैल को हिमाचल दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। यह दिन हिमाचल प्रदेश के लोगों के लिए एक त्यौहार की तरह होता है, जब वे राज्य की समृद्ध संस्कृति, कला, परंपराओं और प्राकृतिक सौंदर्य का जश्न मनाते हैं. इस अवसर पर आइए जानते हैं हिमाचल प्रदेश के रोचक तथ्यों और उसके सामने खड़ी चुनौतियों के बारे में.
हिमाचल प्रदेश: रोचक तथ्य
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नामकरण: हिमाचल का शाब्दिक अर्थ है “बर्फ की गोद”. यह संस्कृत के दो शब्दों “हिम” (बर्फ) और “आंचल” (गोद) से मिलकर बना है.
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स्थापना: 15 अप्रैल 1948 को छोटी रियासतों को मिलाकर हिमाचल प्रदेश का गठन किया गया था. यह 1971 में भारत का 18वां राज्य बना. इससे पहले यह ‘सी’ श्रेणी का राज्य और फिर केंद्र शासित प्रदेश रहा.
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भौगोलिक विशेषताएं: हिमाचल प्रदेश हिमालय की गोद में बसा है, जहां ऊंची पहाड़ियां, गहरी घाटियां, और खूबसूरत नदियां हैं. राज्य में जैव विविधता भी बहुत ज्यादा है, यहां 350 से अधिक प्रजातियों के जानवर और 450 से अधिक प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं।
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ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: हिमाचल प्रदेश का इतिहास चौथी शताब्दी ईसा पूर्व तक पहुंचता है. यहां मौर्य काल के साक्ष्य भी मिले हैं।
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भाषा और संस्कृति: हिंदी के अलावा यहां कई क्षेत्रीय बोलियां बोली जाती हैं, जैसे महासू, पहाड़ी, मंडेली, कांगड़ी, कुल्लू, बिलासपुरी और किन्नौरी.
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अर्थव्यवस्था: राज्य की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि और पर्यटन पर निर्भर है। धर्मशाला, कसौली, लाहौल-स्पीति, शिमला, मनाली और कुल्लू प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं.
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राजनीतिक ढांचा: हिमाचल प्रदेश में 4 संसदीय सीटें और 68 विधानसभा सीटें हैं. राज्य में कुल 12 ज़िले हैं.
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विश्व का सबसे ऊंचा क्रिकेट मैदान: चैल क्रिकेट ग्राउंड, जो समुद्र तल से 8018 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, दुनिया का सबसे ऊंचा क्रिकेट मैदान है.
हिमाचल प्रदेश के सामने चुनौतियां
सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ डॉ. अरुण शर्मा के अनुसार, हिमाचल प्रदेश वर्तमान में कई चुनौतियों का सामना कर रहा है:
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आर्थिक स्थिति: राज्य पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ रहा है, जो अब 97 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा हो गया है. कर्मचारियों के वेतन, पेंशन और कर्ज चुकाने के लिए प्रति महीने 2800 करोड़ रुपये की आवश्यकता होती है, जबकि राजस्व के साधन सीमित हैं. सरकार को नए राजस्व स्रोत ढूंढने और खर्चों में कमी लाने के लिए गंभीरता से काम करना होगा.
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प्राकृतिक आपदाएं: पिछले दो सालों में हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने भारी तबाही मचाई है. इससे जान-माल का भारी नुकसान हुआ है और राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ा है. प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए एक विस्तृत योजना बनाने और उस पर अमल करने की आवश्यकता है. इसमें पूर्व चेतावनी प्रणाली, राहत और बचाव कार्य, और पुनर्वास जैसे पहलुओं पर ध्यान देना होगा.
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बेरोजगारी: राज्य में बेरोजगारी की समस्या भी गंभीर है. 70 लाख की आबादी वाले हिमाचल में 6.32 लाख बेरोजगार हैं. सरकारी विभागों में भी कई पद खाली हैं, लेकिन उन्हें भरा नहीं जा रहा है. बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए सरकार को नए रोजगार के अवसर पैदा करने और कौशल विकास पर ध्यान देना होगा. स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए भी प्रयास किए जाने चाहिए।
हिमाचल प्रदेश को इन चुनौतियों से पार पाने के लिए एक सुव्यवस्थित और दीर्घकालिक रणनीति बनाने की आवश्यकता है.
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