चंडीगढ़/पठानकोट, 12 अप्रैल: पंजाब कैबिनेट ने सुखना झील से सटे क्षेत्र को पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र घोषित करने के लिए तैयार की गई रिपोर्ट को मंजूरी दे दी है। इससे स्थानीय निवासियों को बड़ी राहत मिलेगी। यह रिपोर्ट अब भारत सरकार को भेजी जाएगी।
पंजाब के वन और वन्यजीव संरक्षण मंत्री लाल चंद कटारूचक ने मीडिया से बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 2002 में भारतीय वन्यजीव बोर्ड द्वारा देश के सभी वन्यजीव अभयारण्यों को पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र घोषित करने की योजना बनाई गई थी। इस योजना के तहत, अभयारण्यों के 100 मीटर के दायरे में किसी भी तरह का निर्माण कार्य निषिद्ध था.
पंजाब सरकार ने 2013 में भेजी थी रिपोर्ट:
कटारूचक ने बताया कि पंजाब सरकार ने 2013 में राज्य के 13 वन्यजीव अभयारण्यों के संबंध में एक विस्तृत योजना तैयार कर भारत सरकार को भेजी थी, जिसके बाद इन अभयारण्यों को पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र घोषित कर दिया गया था। हालांकि, सुखना झील, जो हरियाणा और पंजाब की सीमा पर स्थित है, को इस श्रेणी में शामिल नहीं किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनी कमेटी:
मंत्री ने बताया कि सुखना झील के मामले में कानूनी तौर पर पहले से ही तय है कि 10 किमी के दायरे में कोई निर्माण या व्यावसायिक गतिविधि नहीं हो सकती. हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में निर्देश दिया था कि झील के आसपास रहने वाले स्थानीय लोगों से बातचीत की जाए. इसके बाद, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक पांच सदस्यीय समिति का गठन किया जिसने लोगों की समस्याएं सुनीं और एक रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को भेजी, जिसमें इस क्षेत्र को पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र घोषित करने की मांग की गई थी.
कैबिनेट द्वारा इस रिपोर्ट को मंजूरी मिलने से लोगों को राहत मिलेगी और पंजाब सरकार अपना वादा पूरा कर पाई है.
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