शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य में बिना पंजीकरण या लाइसेंस के खाद्य पदार्थों का कारोबार, संचालन और बिक्री पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार को खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के प्रावधानों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने सहित कड़ी कार्रवाई करने को कहा है। कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव, स्वास्थ्य निदेशक और खाद्य सुरक्षा आयुक्त को नोटिस जारी कर तीन हफ्ते में जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि राज्य में खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 की धारा 26 और 31 की अनदेखी की जा रही है और लोग बिना लाइसेंस के खाद्य कारोबार चला रहे हैं, जिससे गंभीर बीमारियां फैल सकती हैं। कानून के अनुसार, खाद्य कारोबारियों को संक्रामक बीमारियों से पीड़ित किसी भी व्यक्ति को रोजगार नहीं देना चाहिए। हालांकि छोटे स्तर पर खाद्य पदार्थ बनाने या बेचने वालों को लाइसेंस लेने से छूट है, लेकिन उन्हें संबंधित अधिकारी के पास पंजीकरण कराना अनिवार्य है।

छोटे खाद्य पदार्थ विक्रेताओं में खुद खाद्य पदार्थ बनाने या बेचने वाले, छोटे खुदरा विक्रेता, फेरीवाले, घुमंतू विक्रेता, अस्थायी स्टॉल धारक, लघु उद्योग, कुटीर उद्योग और अन्य छोटे खाद्य व्यवसाय संचालक शामिल हैं।
कुल्लू निवासी याचिकाकर्ता चिराग का आरोप है कि कई व्यवसायी बिना लाइसेंस और छोटे विक्रेता बिना पंजीकरण के खाद्य पदार्थ बेच रहे हैं, जिससे खाद्य सुरक्षा को खतरा है. कई रेस्तरां, ढाबों और तहबाजारियों में साफ पानी और बर्तनों की सफाई का अभाव है. प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल और एक ही कपड़े से टेबल और बर्तन साफ करने जैसे गंभीर अनियमितताएं देखी जा रही हैं. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की लापरवाही से लाखों लोगों के स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है.
Pls reaD:Himachal: प्रदेश में अनुबंध और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए नियमितीकरण का रास्ता साफ