पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्य में शिक्षा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 2000 करोड़ रुपये की ‘शिक्षा क्रांति’ की शुरुआत की है। नवांशहर में स्कूल ऑफ एमिनेंस के नए ब्लॉक का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार स्वास्थ्य और शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि पहले बच्चों को सरकारी स्कूल भेजना मजबूरी थी, लेकिन अब यह लोगों की इच्छा बन गई है क्योंकि शिक्षा व्यवस्था में सुधार हुआ है। राज्य भर में स्कूल ऑफ एमिनेंस स्थापित किए गए हैं ताकि छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार समाज के हर वर्ग, खासकर युवाओं के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। छात्रों को विभिन्न प्रतियोगिताओं के लिए तैयार करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के समग्र विकास और लोगों की समृद्धि पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों ने छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने पर ध्यान नहीं दिया। बड़े नेताओं के बच्चे पहाड़ों पर स्थित कॉन्वेंट स्कूलों में पढ़ते थे, इसलिए सरकारी स्कूल उनकी प्राथमिकता नहीं थे। पिछली सरकारों के दौरान सरकारी स्कूल केवल मिड डे मील केंद्र बनकर रह गए थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन लोगों ने छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित रखा और श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की, उन्हें उनके पापों की सजा मिल रही है। जनता ने उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया है और अब वे राजनीतिक गुमनामी में हैं। पंजाबी उनके पापों को कभी माफ नहीं करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार शिक्षकों को उनके शिक्षण कौशल को बेहतर बनाने के लिए विदेशों और प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संस्थानों में भेज रही है। अच्छी तरह से प्रशिक्षित कर्मचारियों ने राज्य के सरकारी स्कूलों में दाखिले की दर बढ़ाने में मदद की है। पंजाब में शिक्षा क्रांति देखी जा रही है। अब शिक्षक और प्रधानाध्यापक केवल शिक्षा पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं क्योंकि बाकी सभी कार्यों के लिए राज्य सरकार ने आवश्यक कर्मचारियों की भर्ती की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के युवाओं को 54,000 से अधिक नौकरियां प्रदान की गई हैं। सभी नौकरियां पूरी तरह से योग्यता के आधार पर दी गई हैं, बिना किसी भ्रष्टाचार या भाई-भतीजावाद के। यह युवाओं को पंजाब के सामाजिक-आर्थिक विकास में एक सक्रिय भागीदार बना रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने नशे के खतरे के खिलाफ ‘युद्ध नशेयां विरुद्ध’ शुरू किया है। युवाओं की असीमित ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में लगाया जा रहा है। राज्य की पीढ़ियों को नशे के कहर से बचाना जरूरी है क्योंकि पंजाब को इस कारण पहले ही बहुत नुकसान हो चुका है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार स्कूल मेंटरशिप प्रोग्राम लागू कर रही है, जिसके तहत आईएएस/आईपीएस अधिकारी राज्य भर के ग्रामीण स्कूलों को गोद लेंगे और छात्रों का मार्गदर्शन करेंगे। यह पायलट प्रोजेक्ट राज्य के 80 स्कूल ऑफ एमिनेंस में शुरू किया जाएगा और प्रत्येक अधिकारी को पांच साल की अवधि के लिए स्कूल आवंटित किया जाएगा। यह कदम छात्रों और शिक्षकों के साथ बातचीत के माध्यम से शिक्षा के माहौल को और मजबूत करेगा। इसके साथ ही अधिकारी छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करेंगे और शिक्षकों को उनके कौशल को उन्नत बनाने के लिए प्रशिक्षण देंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें बहुत गर्व और संतोष है कि इन स्कूलों में प्रतिभाशाली छात्र पढ़ रहे हैं। पंजाब सरकार ने कुल बजट व्यय का 11%, जो कि 18,047 करोड़ रुपये है, शिक्षा क्षेत्र को आवंटित करके इसे बढ़ावा दिया है। इससे एक नए, समृद्ध और प्रगतिशील पंजाब के निर्माण में मदद मिलेगी।
इस अवसर पर लोकसभा सांसद मलविंदर सिंह कंग, विधायक डॉ सुखविंदर कुमार सुखी और नछत्तर पाल, शिक्षा सचिव अनिंदिता मित्रा और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि राज्य सरकार छात्रों के सपनों को पंख देने के लिए अथक प्रयास कर रही है। राज्य भर में शिक्षा व्यवस्था का पूर्ण परिवर्तन हो रहा है। हम लोगों को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करने की राजनीति नहीं करते, बल्कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के माध्यम से उन्हें सशक्त बनाते हैं।
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