देहरादून: मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में विश्व बैंक सहायता प्राप्त उत्तराखंड जलापूर्ति कार्यक्रम (2018-2025) की 12वीं उच्चाधिकार प्राप्त समिति (HPC) की बैठक हुई। बैठक में राज्य में ट्यूबवेल पर बिजली खर्च कम करने के लिए खाली स्थानों की मैपिंग करके सौर ऊर्जा प्रणाली लगाने के निर्देश दिए गए। मुख्य सचिव ने ट्यूबवेल लगाने से पहले भूजल स्तर की रिपोर्ट लेना अनिवार्य कर दिया है।
कार्यक्रम की मुख्य बातें:
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लागत: 1042 करोड़ रुपये (834 करोड़ विश्व बैंक से, 208 करोड़ राज्य सरकार से)
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समय-सीमा: 30 जून 2025
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कवरेज: 5 जिलों (देहरादून, टिहरी, हरिद्वार, नैनीताल, ऊधमसिंह नगर) के 22 शहर
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लक्ष्य: 4.35 लाख लोगों को 16 घंटे प्रतिदिन 135 लीटर पानी उपलब्ध कराना
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विशेषताएं: 100% मीटरिंग और वॉल्यूमेट्रिक टैरिफ
प्रगति:
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22 स्कीम पूरी हो चुकी हैं।
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1,08,755 नए कनेक्शन दिए गए हैं, जो लक्ष्य से 24% अधिक है।
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विश्व बैंक ने परियोजना के क्रियान्वयन पर संतुष्टि जताई।
मुख्य सचिव के निर्देश:
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जल गुणवत्ता, निरंतर जलापूर्ति, ऊर्जा दक्षता, ग्राहक संतुष्टि और शिकायत निवारण तंत्र में सुधार बनाए रखें।
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पेयजल निगम और जल संस्थान के पास संकटग्रस्त क्षेत्रों की भूजल स्तर रिपोर्ट उपलब्ध हो।
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ट्यूबवेल पर बिजली की बचत के लिए सौर ऊर्जा प्रणाली स्थापित करने की योजना बनाएं।
बैठक में पेयजल और वित्त विभाग के सचिवों सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
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