Himachal: कानून की पढ़ाई से बढ़ता है आत्मविश्वास: सीएम सुक्खू

  • हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में सीएम ने छात्रों को दी शुभकामनाएं

शिमला: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि कानून की पढ़ाई करने से आत्मविश्वास बढ़ता है और इससे समाज को फ़ायदा होता है. वे घंडल स्थित राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एचपीएनएलयू) शिमला के दूसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे. इस अवसर पर उन्होंने उपाधि प्राप्त करने वाले छात्रों को बधाई दी और उन्हें कड़ी मेहनत और लगन से अपना करियर बनाने के लिए प्रेरित किया.

कानून की डिग्री ली, लेकिन वकालत नहीं की: सीएम

मुख्यमंत्री ने अपने जीवन के अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की थी, लेकिन उन्होंने कभी वकालत नहीं की. उन्होंने कहा कि उनकी रुचि राजनीति और समाज सेवा में थी और राज्य के लोगों के सहयोग से उन्हें प्रदेश की सेवा करने का मौका मिला.

जीवन की चुनौतियाँ डिग्री के बाद शुरू: सीएम

सीएम सुक्खू ने कहा कि जीवन की असली चुनौतियाँ डिग्री हासिल करने के बाद शुरू होती हैं और अनुभव से ही ज्ञान मिलता है. उन्होंने कहा कि कानून की पढ़ाई व्यक्ति में आत्मविश्वास पैदा करती है, चाहे वह किसी भी क्षेत्र में करियर बनाए. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने पिछले दो सालों में कई कानूनी सुधार किए हैं.

सुप्रीम कोर्ट के जज ने छात्रों को किया प्रेरित

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने छात्रों को अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए दृढ़ता से आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने कहा कि सफलता के लिए दृढ़ संकल्प और बुद्धिमत्ता ज़रूरी है. उन्होंने छात्रों से हर चुनौती का सामना धैर्य और संयम से करने को कहा. उन्होंने कहा कि कानून सिर्फ़ अमीरों के लिए नहीं, बल्कि ग़रीबों और ज़रूरतमंदों के लिए भी है.

451 छात्रों को मिली उपाधियाँ

इस अवसर पर 451 छात्रों को उपाधियाँ प्रदान की गईं. इनमें बीए एलएलबी, बीबीए एलएलबी और एलएलएम के छात्र शामिल हैं. 15 छात्रों को पीएचडी की डिग्री भी प्रदान की गई.

उत्कृष्ट छात्रों को किया गया सम्मानित

शानदार प्रदर्शन करने वाले छात्रों को विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय करोल और हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व चीफ़ जस्टिस राजीव शकधर को कानून के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए डॉक्टर ऑफ़ लॉज़ की मानद उपाधि दी गई.

 

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