Uttarakhand: जिम कॉर्बेट की बंदूक मालखाने में बंद, वारिस को नहीं मिली विरासत – The Hill News

Uttarakhand: जिम कॉर्बेट की बंदूक मालखाने में बंद, वारिस को नहीं मिली विरासत

हल्द्वानी। प्रसिद्ध शिकारी जिम कॉर्बेट द्वारा अपने दोस्त शेर सिंह नेगी को भेंट की गई बंदूक आज कालाढूंगी थाने के मालखाने में बंद है। यह एक नाल वाली भरुवा बंदूक, जिसका इस्तेमाल बाघ और जंगली जानवरों को खदेड़ने के लिए किया जाता था, पिछले छह सालों से मालखाने में धूल फांक रही है।

1967 में शेर सिंह की मृत्यु के बाद बंदूक उनके बेटे त्रिलोक सिंह के नाम हो गई थी। 2019 में त्रिलोक सिंह की मृत्यु के बाद से यह बंदूक मालखाने में जमा है। शेर सिंह के पोते मोहित नेगी ने बंदूक वापस पाने के लिए काफ़ी कोशिश की, लेकिन अब तक उन्हें सफलता नहीं मिली है।

आरटीआई से हुआ खुलासा

आरटीआई के ज़रिए नैनीताल जिले के थानों के मालखानों में पड़े शस्त्रों की जानकारी मांगी थी। इसके जवाब में कालाढूंगी थाना पुलिस ने बताया कि उनके मालखाने में पाँच शस्त्र हैं, जो उनके मालिकों की मृत्यु के बाद जमा किए गए हैं। इनमें से एक जिम कॉर्बेट की बंदूक भी है।

परिवार की मांग: बंदूक मिले विरासत में

मोहित नेगी का कहना है कि कॉर्बेट ने भारत छोड़ते समय उनके दादा को तीन बंदूकें दी थीं, जिनमें से एक यह बंदूक है। उनके दादा, शेर सिंह, कॉर्बेट के क़रीबी दोस्त थे। मोहित ने बंदूक को अपने नाम करवाने के लिए काफ़ी प्रयास किए, लेकिन प्रशासनिक अड़चनों के कारण उन्हें सफलता नहीं मिली। वे चाहते हैं कि प्रशासन इस ऐतिहासिक बंदूक को उन्हें सौंप दे, ताकि वे इसे संग्रहालय में रख सकें।

पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र

मोहित बताते हैं कि पहले वे इस बंदूक को जिम कॉर्बेट की चौपाल में रखते थे और पर्यटक इसे देखने और इसके साथ तस्वीरें खिंचवाने आते थे। उनका मानना है कि अगर यह बंदूक संग्रहालय में रखी जाए, तो यह पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण बन सकती है।

जिम कॉर्बेट: एक संक्षिप्त परिचय

जिम कॉर्बेट एक प्रसिद्ध शिकारी, लेखक और वन्यजीव प्रेमी थे। उनका जन्म 25 जुलाई 1875 को नैनीताल में हुआ था। उन्होंने आदमखोर बाघों का शिकार करके ख्याति प्राप्त की। रामनगर स्थित कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान का नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया है।

 

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