
शिमला: हिमाचल प्रदेश में मंदिरों के धन के इस्तेमाल को लेकर राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के आरोपों पर पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने मंदिरों से 28 करोड़ रुपये अपनी योजनाओं के लिए लिए थे। उन्होंने कहा कि खुद ऐसा करने पर पुण्य और उनके द्वारा करने पर पाप जैसा व्यवहार किया जा रहा है। सुक्खू ने कहा कि मंदिरों से पैसा लेने का कोई नियम नहीं है और उपायुक्त के पास यह अधिकार होता है। इस पैसे का इस्तेमाल सड़क और रास्ते बनाने जैसे कामों में भी किया जाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मंदिरों का पैसा सरकारी कोष में नहीं जाता और इसके इस्तेमाल की एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) होती है। उन्होंने जयराम ठाकुर को हर चीज को राजनीति से न जोड़ने की सलाह दी और कहा कि ऐसे मामलों में संवेदनशीलता ज़रूरी है।
इससे पहले जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया था कि हणौगी माता मंदिर के कर्मचारियों को पांच-छह महीने से वेतन नहीं दिया गया, लेकिन मंदिर में जमा पांच लाख रुपये सुख आश्रय योजना के लिए ट्रांसफर कर दिए गए।
गौशालाओं के लिए धन:
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि गाय को माँ का दर्जा दिया जाता है और उनके प्रति भी वैसा ही व्यवहार होना चाहिए। गाय सड़कों पर नहीं, बल्कि गौशालाओं में होनी चाहिए। इसलिए पूर्व सरकार ने गौशालाओं का निर्माण किया था और मंदिरों के बजट का 15 प्रतिशत हिस्सा गौशालाओं को देने का प्रावधान किया था।
जयराम ठाकुर ने कांग्रेस सरकार पर सनातन विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी सरकार ने केवल 15 प्रतिशत बजट मांगा था, जबकि वर्तमान सरकार मंदिरों से पूरा पैसा मांग रही है।
NPS का पैसा लौटाने की मांग:
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि राज्य में कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही पुरानी पेंशन योजना बहाल कर दी है। इसलिए केंद्र के पास जमा राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) के 9200 करोड़ रुपये राज्य को वापस लौटा दिए जाने चाहिए क्योंकि यह पैसा राज्य सरकार और कर्मचारियों का है।
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