
न्यूयार्क। 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के गुनहगार तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पित करने का रास्ता साफ हो गया है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राणा की भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। राणा ने अपनी याचिका में दावा किया था कि पाकिस्तानी मूल का मुसलमान होने के कारण उसे भारत में प्रताड़ित किया जाएगा और उसकी जान को खतरा है। उसने अपनी गंभीर बीमारियों का भी हवाला दिया था। राणा ने तर्क दिया था कि यदि उसका प्रत्यर्पण हो जाता है तो उसके पास कोई समीक्षा का विकल्प नहीं बचेगा।
राणा ने याचिका में अमेरिकी कानून और संयुक्त राष्ट्र के यातना विरोधी नियमों के उल्लंघन का भी दावा किया था। उसने कहा था कि भारत प्रत्यर्पित किए जाने पर उसे प्रताड़ना का सामना करना पड़ेगा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उसकी इन दलीलों को खारिज कर दिया।
64 वर्षीय राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है और वर्तमान में लास एंजिलिस के एक डिटेंशन सेंटर में बंद है। उस पर आरोप है कि उसने 26/11 के हमलों में अपने सहयोगी डेविड कोलमैन हेडली (दाऊद गिलानी) की मदद की थी। हेडली, जो अमेरिकी-पाकिस्तानी मूल का था, मुंबई हमलों का मुख्य साजिशकर्ता था और उसे अक्टूबर 2009 में अमेरिकी अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था।
पिछले महीने, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की थी कि उनके प्रशासन ने राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है ताकि वह “भारत में न्याय का सामना” कर सके। ट्रंप ने राणा को “बहुत दुष्ट” बताया था। इससे पहले जनवरी में भी सुप्रीम कोर्ट ने राणा की एक समीक्षा याचिका खारिज कर दी थी।
मुख्य बिंदु:
-
सुप्रीम कोर्ट ने तहव्वुर राणा की प्रत्यर्पण याचिका खारिज की।
-
राणा ने प्रताड़ना और जान को खतरा होने का दावा किया था।
-
राणा पर 26/11 हमलों में हेडली की मदद करने का आरोप है।
-
ट्रंप प्रशासन ने राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है।