
नई दिल्ली, अमेरिका द्वारा चीन, मेक्सिको और कनाडा पर लगाए गए शुल्क मंगलवार से लागू हो गए हैं, जिससे वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ गई है। आइए समझते हैं कि शुल्क क्या होते हैं और कैसे काम करते हैं।
शुल्क क्या है?
शुल्क आयात पर लगाया जाने वाला एक प्रकार का कर है। आमतौर पर, यह विदेशी विक्रेता से सामान खरीदने पर खरीदार द्वारा भुगतान की गई कीमत का एक निश्चित प्रतिशत होता है। अमेरिका में, सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा एजेंट देश भर के 328 बंदरगाहों पर शुल्क एकत्र करते हैं।
अमेरिका में शुल्क दरें:
अमेरिका में शुल्क दरें उत्पाद के आधार पर भिन्न होती हैं। उदाहरण के लिए, यात्री कारों पर 2.5% और गोल्फ के जूतों पर 6% शुल्क लगता है। जिन देशों के साथ अमेरिका का व्यापार समझौता है, उनके लिए शुल्क दरें कम हो सकती हैं। कनाडा और मेक्सिको पर 25% शुल्क लगाए जाने से पहले, दोनों देशों के बीच अधिकांश उत्पादों का व्यापार शुल्क मुक्त था क्योंकि अमेरिका का उनके साथ व्यापार समझौता था।
अर्थशास्त्रियों की राय:
अर्थशास्त्री शुल्कों को राजस्व बढ़ाने का एक अक्षम तरीका मानते हैं। उनका मानना है कि शुल्कों का बोझ अंततः उपभोक्ताओं पर पड़ता है।
शुल्क का भुगतान कौन करता है?
हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का दावा है कि शुल्कों का भुगतान अन्य देश करते हैं, वास्तव में अमेरिकी कंपनियां ही आयात शुल्क का भुगतान करती हैं। ये कंपनियां आमतौर पर बढ़ी हुई लागत को कीमतें बढ़ाकर उपभोक्ताओं पर डाल देती हैं।
शुल्कों का प्रभाव:
जिन देशों के उत्पादों पर शुल्क लगाया जाता है, उनके उत्पाद महंगे हो जाते हैं और उन्हें विदेशों में बेचना मुश्किल हो जाता है, जिससे व्यापार में नुकसान हो सकता है। प्रभावित देशों की कंपनियों को अपनी बाजार हिस्सेदारी बनाए रखने के लिए कीमतें कम करनी पड़ सकती हैं और कम लाभ के साथ समझौता करना पड़ सकता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि चीन के उत्पादों पर अमेरिकी शुल्कों से चीन की अर्थव्यवस्था को अमेरिका की तुलना में तीन गुना अधिक नुकसान हुआ है।
शुल्क क्यों लगाए जाते हैं?
शुल्क घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए और उन देशों को दंडित करने के लिए लगाए जाते हैं जो अपने निर्यातकों को सब्सिडी देते हैं, जिससे वे अपने उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कम कीमत पर बेच पाते हैं। चीन पर लंबे समय से व्यापार के अनुचित तरीके अपनाने का आरोप लगाया जाता रहा है, जिसमें बड़े पैमाने पर सब्सिडी और अन्य सुविधाएं देना शामिल है।
पारस्परिक शुल्क:
यदि एक देश दूसरे पर शुल्क लगाता है, तो दूसरा देश भी प्रतिक्रिया में शुल्क लगा सकता है। उदाहरण के लिए, जब ट्रंप ने यूरोपीय संघ से स्टील और एल्यूमीनियम पर शुल्क लगाया, तो यूरोपीय संघ ने भी अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगाया। इसी तरह, चीन ने सोयाबीन और सूअर के मांस सहित अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क लगाकर ट्रंप के व्यापार युद्ध का जवाब दिया।
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