Uttarakhand: उत्तराखंड कांग्रेस में आंतरिक कलह जारी, नेताओं के बीच समन्वय की कमी

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देहरादून। उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी के लिए चुनौतियाँ कम नहीं हो रही हैं। चुनावी सफलता से दूर पार्टी आंतरिक कलह से जूझ रही है। प्रदेश संगठन और विधायकों के बीच तालमेल की कमी लगातार बनी हुई है। नगर निकाय चुनाव में अपेक्षित प्रदर्शन न कर पाने के कारण प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा एक बार फिर विधायकों के निशाने पर हैं।

किच्छा विधायक तिलकराज बेहड़ के बाद अब पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने भी संगठन में बदलाव की मांग की है। माहरा ने पलटवार करते हुए चेतावनी दी है कि पार्टी के फ़ोरम के बजाय अन्य मंचों पर संगठन के बारे में बयानबाज़ी करने वाले नेताओं पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।

नगर निकाय चुनाव में खराब प्रदर्शन:

नगर निकाय चुनाव में टिकट वितरण को लेकर भी विवाद सामने आए थे। पिथौरागढ़ में महापौर पद के लिए स्थानीय विधायक और पार्टी के बीच मतभेद का असर चुनाव परिणामों पर भी दिखा, जहाँ कांग्रेस प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे। केंद्रीय नेतृत्व द्वारा गठित प्रदेश समन्वय समिति भी नेताओं के बीच अविश्वास की खाई को पाटने में नाकाम रही है।

स्मार्ट मीटर मुद्दे पर मतभेद:

विधायक बेहड़ ने स्मार्ट मीटर के विरोध में प्रदर्शन किया था और प्रदेश संगठन की भूमिका पर सवाल उठाए थे। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बेहड़ के आंदोलन का समर्थन किया है। प्रीतम सिंह ने भी कहा है कि 2027 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी नेतृत्व को संगठन में बदलाव के बारे में जल्द फैसला लेना चाहिए।

माहरा का दावा, कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा:

माहरा ने कहा कि जब उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाला था, तब कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर चुका था, लेकिन अब वे चुनाव और प्रदर्शनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि उपचुनावों में पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया है और नगर निकाय चुनाव में भी कई जगह कांग्रेस का प्रदर्शन भाजपा से बेहतर रहा है।

 

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