श्रीनगर। गढ़वाल, श्रीनगर में ‘किताब कौथिग’ के आयोजन को अनुमति न देने के आरोपों को उपजिलाधिकारी नुपुर वर्मा ने निराधार बताया है। उन्होंने कहा कि 12 फ़रवरी तक आयोजकों ने कोई आवेदन नहीं किया था। रामलीला मैदान में 15 और 16 फ़रवरी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के जनजागरण कार्यक्रम की अनुमति पहले ही 10 फ़रवरी को दे दी गई थी, इसलिए ‘किताब कौथिग’ को अनुमति नहीं दी जा सकी। सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही भ्रांतियों को उन्होंने अनुचित बताया।
राबाइंका में परीक्षा के कारण नहीं मिली अनुमति:
आयोजकों ने 9, 10, और 11 जनवरी को राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में आयोजन की अनुमति मांगी थी, लेकिन 12 जनवरी को राबाइंका में होने वाली पुलिस भर्ती परीक्षा के कारण विद्यालय प्रशासन ने अनुमति देने से इनकार कर दिया था।
आइसा ने कुलपति से की अनुमति की मांग:
ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति से मिलकर ‘किताब कौथिग’ के आयोजन की अनुमति मांगी है। आइसा का कहना है कि ऐसे आयोजन शैक्षणिक माहौल के लिए ज़रूरी हैं और कुछ लोगों के विरोध के कारण इसे रोकना उचित नहीं है। आइसा ने चेतावनी दी है कि अगर अनुमति नहीं मिली तो वह आंदोलन करेगा।
एनएसयूआई ने पौड़ी में आयोजन का दिया न्योता:
नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने ‘किताब कौथिग’ के स्थगित होने पर नाराज़गी जताई है और प्रशासन पर पक्षपात का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के केंद्र में इस तरह की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। एनएसयूआई ने आयोजकों को पौड़ी में ‘किताब कौथिग’ आयोजित करने का न्योता दिया है और पूरा सहयोग देने का वादा किया है। उन्होंने कहा कि यह किताबों का ही नहीं, बल्कि संस्कृति का भी विरोध है।
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