Jammu: जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के मददगार तीन सरकारी कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त

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जम्मू। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की मदद करने वाले सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ प्रशासन की कार्रवाई जारी है। शुक्रवार को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आतंकियों और अलगाववादियों की मदद करने वाले तीन सरकारी कर्मचारियों को सेवामुक्त कर दिया। ये तीनों कर्मी वर्तमान में जेल में बंद हैं।

उपराज्यपाल सिन्हा ने हाल ही में एक सुरक्षा समीक्षा बैठक में सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दिया था कि आतंकियों की मदद को भी आतंकी कार्रवाई माना जाए और उसके अनुसार कानूनी कार्रवाई की जाए। अक्टूबर 2024 में निर्वाचित सरकार की बहाली के बाद उपराज्यपाल द्वारा आतंकियों के मददगारों को सेवामुक्त किए जाने का यह दूसरा मामला है। इससे पहले नवंबर 2024 में भी दो सरकारी कर्मियों की सेवाएं समाप्त की गई थीं।

आतंकियों के मददगारों के खिलाफ अभियान

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर सरकार पिछले पांच वर्षों से सरकारी तंत्र को आतंकियों और अलगाववादियों के एजेंटों और मददगारों से मुक्त कराने का अभियान चला रही है। इस अभियान के तहत अब तक लगभग 70 सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त की जा चुकी हैं, जिनमें इंजीनियर, डॉक्टर, तहसीलदार, पुलिस अधिकारी, कर्मी और अध्यापक शामिल हैं।

सेवामुक्त किए गए तीन कर्मियों में पुलिस कॉन्स्टेबल फिरदौस अहमद बट, अध्यापक मोहम्मद अशरफ बट और वनकर्मी निसार अहमद खान शामिल हैं। ये तीनों आतंकियों के लिए हथियार और अन्य सामान मुहैया कराने के अलावा उनके लिए मुखबिरी भी करते थे। साथ ही, ये अलगाववादी तत्वों के एजेंडे को आगे बढ़ाने और भारत विरोधी प्रदर्शनों में भी सहयोग करते थे।

उपराज्यपाल ने अनुच्छेद 311(2) सी के प्रावधानों के तहत इन तीनों कर्मियों की सेवाएं समाप्त की हैं। यह कार्रवाई विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों द्वारा की गई जांच में जुटाए गए साक्ष्यों और इनके खिलाफ दर्ज मामलों के आधार पर की गई है।

 

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