शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नई नीति पर काम कर रही है। राज्य में धार्मिक, साहसिक और धरोहर पर्यटन की अपार संभावनाओं को देखते हुए सरकार नए पर्यटन स्थलों के विकास और आकर्षक पैकेज पर विचार कर रही है।
हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास बोर्ड (एचपीटीडीबी) के उपाध्यक्ष और हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) के अध्यक्ष रघुबीर सिंह बाली ने बताया कि सरकार घोषणाएं करने के बजाय योजनाओं को धरातल पर उतारने में विश्वास रखती है। जनजातीय क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 30 करोड़ रुपये की परियोजना को केंद्र से मंज़ूरी मिली है। एशियन विकास बैंक (एडीबी) के सहयोग से राज्य के मंदिरों का सुंदरीकरण और शक्तिपीठों को धार्मिक गलियारों से जोड़ा जा रहा है ताकि धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिले।
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कांगड़ा और शिमला सहित हर ज़िले में कार्निवाल आयोजित किए जा रहे हैं। राज्य सरकार पर्यटन के विकास के लिए दीर्घकालीन और अल्पकालीन, दोनों तरह की योजनाओं पर काम कर रही है।
पर्यटकों के लिए सुविधाओं में सुधार के लिए भी सरकार प्रयासरत है। दिल्ली और चंडीगढ़ में आयोजित पर्यटन कॉन्क्लेव में कई बड़े होटल समूहों से बातचीत की गई है। राज्य में पांच सितारा होटल भी बन रहे हैं। बेहतर यातायात सुविधा के लिए नए फोरलेन बनाए जा रहे हैं और ग्रीन कॉरिडोर पर ई-वाहन चार्जिंग स्टेशन और होटल बनाए जा रहे हैं। हवाई संपर्क बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार से लगातार बातचीत चल रही है।
एचपीटीडीसी के होटलों के नवीनीकरण पर भी काम शुरू हो गया है। होटलों के टर्नओवर में भी इज़ाफ़ा हुआ है। केंद्र सरकार से भी पर्यटन के विकास के लिए सहयोग मांगा गया है। एडीबी के माध्यम से 2400 करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर काम चल रहा है। गोल्फ कोर्स, वेडिंग डेस्टिनेशन, पुरानी मनाली का जीर्णोद्धार, चंबा का विकास और जनजातीय क्षेत्रों में पर्यटन जैसी कई योजनाओं पर काम चल रहा है।
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