
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी घोषित लोगों को निर्वासित न करने पर असम सरकार की कड़ी आलोचना की है। कोर्ट ने सरकार से सवाल किया कि क्या वह इन लोगों को अनिश्चितकाल तक हिरासत केंद्रों में रखेगी? साथ ही, असम सरकार के इस दावे पर भी सवाल उठाया कि निर्वासन संभव नहीं है क्योंकि बंदियों ने अपने विदेशी पते का खुलासा नहीं किया। कोर्ट ने व्यंग्यात्मक लहजे में पूछा कि क्या सरकार किसी “मुहूर्त” का इंतज़ार कर रही है?
63 लोगों को निर्वासित करने का दिया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को दो हफ्ते के भीतर हिरासत केंद्रों में बंद 63 विदेशी घोषित लोगों को निर्वासित करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने कहा कि एनआरसी अपडेशन के दौरान विदेशी घोषित किए गए इन लोगों को वापस भेजा जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार पर तथ्य छिपाने का आरोप लगाया
कोर्ट ने असम सरकार पर तथ्य छिपाने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार जानकारी दबा रही है। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने “कुछ कमियों” के लिए माफ़ी मांगी। न्यायमूर्ति ओका ने कहा, “हम आपको झूठी गवाही का नोटिस जारी करेंगे। आपको अपना अपराध स्वीकार करना चाहिए।” राज्य के वकील ने छिपाने के इरादे से इनकार किया, लेकिन न्यायमूर्ति ओका ने हलफ़नामे को दोषपूर्ण बताया और सत्यापन की तिथि न बताने पर सवाल उठाए।
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