
देहरादून: उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने राज्य के लिए एक विशिष्ट आपदा प्रबंधन ढांचा तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि अन्य देशों या राज्यों के मॉडल को अपनाने के बजाय, उत्तराखंड की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए एक उत्तराखंड-केंद्रित मॉडल विकसित किया जाना चाहिए। इस फ्रेमवर्क को तैयार करते समय गैर सरकारी संगठनों, सिविल सोसाइटी, सामाजिक संस्थाओं और निजी विशेषज्ञों के सुझावों को भी शामिल करने पर ज़ोर दिया गया।
मुख्य सचिव के अन्य प्रमुख निर्देश:
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बीमा योजना: आपदा जोखिम न्यूनीकरण में बीमा योजनाओं के महत्व को रेखांकित करते हुए, मुख्य सचिव ने शीघ्र ही एक प्रभावी कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए।
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जोखिम आकलन: आपदा प्रभावित क्षेत्रों और गांवों में जोखिम आकलन के लिए मास्टर ट्रेनरों को प्रशिक्षित करने का निर्देश दिया गया।
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आपदा सखी: राज्य के 65,000 स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी 10 लाख महिलाओं को आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण देकर “आपदा सखी” के रूप में तैयार किया जाएगा।
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शिक्षा में आपदा प्रबंधन: प्राथमिक विद्यालय स्तर से ही बच्चों के पाठ्यक्रम में आपदा प्रबंधन को शामिल किया जाएगा।
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पूर्व सैनिकों की मदद: आपदा प्रबंधन में पूर्व सैनिकों की सहायता ली जाएगी।
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हल्के निर्माण: भवनों और अन्य निर्माण कार्यों में हल्की निर्माण सामग्री के उपयोग को बढ़ावा देने के निर्देश दिए गए।
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गांवों का जोखिम आकलन: जिलाधिकारियों को सभी गांवों का आपदा जोखिम आकलन करने और उच्च जोखिम वाले गांवों के पुनर्वास की योजना बनाने के निर्देश दिए गए।
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डेटा शेयरिंग: आपदा संबंधी आंकड़ों को सभी विभागों के साथ साझा करने और एक गतिशील डेटाबेस बनाने के निर्देश दिए गए।
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सड़क दुर्घटनाएं: सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए विशेष कार्ययोजना बनाने और नवीनतम उपायों, जैसे बांस के क्रैश बैरियर, को अपनाने के निर्देश दिए गए।
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आईआरएस प्रणाली: राज्य, जिला, तहसील और पंचायत स्तर पर आईआरएस प्रणाली को सक्रिय करने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग को बधाई दी गई।
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