Special: मकर संक्रांति पर पतंगबाजी: परंपरा, विज्ञान और सामाजिक सरोकार – The Hill News

Special: मकर संक्रांति पर पतंगबाजी: परंपरा, विज्ञान और सामाजिक सरोकार

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नई दिल्ली: मकर संक्रांति का त्योहार रंग-बिरंगी पतंगों के बिना अधूरा है। लेकिन क्या आप जानते हैं इस परंपरा के पीछे क्या कारण हैं? आइए जानें धार्मिक मान्यताओं, वैज्ञानिक कारणों और सामाजिक महत्व के बारे में।

धार्मिक मान्यता:

तमिल रामायण के अनुसार, भगवान राम ने सबसे पहले मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाई थी। उनकी पतंग इंद्रलोक तक पहुँच गई थी। तभी से मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा चली आ रही है। पतंगबाजी को शुभता और खुशी का प्रतीक माना जाता है।

वैज्ञानिक कारण:

  • विटामिन डी: सर्दियों में धूप कम निकलती है। पतंग उड़ाने से शरीर को सुबह की धूप मिलती है, जिससे विटामिन डी की कमी पूरी होती है, जो हड्डियों और इम्युनिटी के लिए ज़रूरी है।

  • शारीरिक गतिविधि: पतंगबाजी एक तरह की शारीरिक गतिविधि है जो शरीर को सक्रिय रखती है और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाती है।

  • मानसिक स्वास्थ्य: सर्दियों में धूप की कमी से मूड खराब हो सकता है। पतंग उड़ाने से मूड अच्छा होता है, जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।

सामाजिक महत्व:

पतंगबाजी लोगों को एक साथ लाती है, जिससे सामाजिक एकता बढ़ती है। यह बच्चों के लिए एक मजेदार खेल है और बड़ों के लिए बचपन की यादें ताज़ा करने का एक माध्यम है।

पतंग उड़ाते समय सावधानियां:

  • सुरक्षा: बिजली के तारों से दूर रहें और छत पर पतंग उड़ाते समय किनारे पर न जाएं।

  • सम्मान: दूसरों का सम्मान करें और उनकी संपत्ति को नुकसान न पहुंचाएं।

  • पर्यावरण: पतंग का धागा कहीं भी न फेंके, उसे डस्टबिन में डालें।

  • सावधानी: मकर संक्रांति पर ध्यान से बाहर निकलें, क्योंकि कटे हुए मांझे से चोट लगने का खतरा रहता है।

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