नई दिल्ली। हिंदू धर्म में कलावा का विशेष महत्व है। पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों में कलावा बांधना अनिवार्य माना जाता है। कलावा बांधने के कुछ नियम भी हैं, जिनका पालन करना शुभ माना जाता है। पुरुष और कुंवारी कन्याएं दाएं हाथ में कलावा बांधते हैं, जबकि विवाहित महिलाएं बाएं हाथ में। आइए जानते हैं इसका क्या कारण है।
दाएं हाथ का महत्व:
शुभ कार्यों में दाएं हाथ का प्रयोग शुभ माना जाता है। इसलिए पूजा-पाठ या धार्मिक अनुष्ठानों में पुरुष और कुंवारी कन्याएं दाएं हाथ में कलावा बांधते हैं।
विवाहित महिलाएं क्यों बांधती हैं बाएं हाथ में:
मान्यता है कि विवाह के बाद महिलाएं अपने पति की वामंगी (बायां अंग) बन जाती हैं। इसलिए विवाहित महिलाओं के लिए बाएं हाथ में कलावा बांधना शुभ माना गया है।
कलावा बांधने की विधि:
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कलावा बांधवाते समय हाथ में एक सिक्का या रुपया लेकर मुट्ठी बंद कर लें और दूसरे हाथ को सिर पर रखें।
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कलावा बंध जाने के बाद हाथ में रखी दक्षिणा कलावा बांधने वाले को दें।
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कलावा कम से कम 3, 5 या 7 बार लपेटना चाहिए।
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कलावा बंधवाते समय सिर ढका होना चाहिए।
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अधिक लाभ के लिए इस मंत्र का जाप कर सकते हैं: “येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वां अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।”
कलावा उतारने के नियम:
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कलावा उतारने के लिए मंगलवार या शनिवार का दिन शुभ होता है।
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पुराना कलावा उतारकर नया कलावा बांध लेना चाहिए।
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पुराने कलावे को इधर-उधर न फेंकें। इसे पीपल के पेड़ के नीचे रख दें या बहते जल में प्रवाहित कर दें।
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उतारे हुए कलावे को दोबारा न बांधें।
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कलावा लगभग 21 दिन बाद उतारा जा सकता है।
अस्वीकरण: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। hill news इस लेख में दी गई जानकारी की पुष्टि नहीं करता। पाठक अपने विवेक का प्रयोग करें।
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