
मलोट (मुक्तसर): मलोट के वार्ड नंबर 12 में होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवारों के नामांकन रद्द किए जाने के विरोध में तीनों दलों ने संयुक्त रूप से विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली-फाजिल्का नेशनल हाईवे पर नौ बत्ती वाला चौक जाम कर दिया, जिससे राहगीरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। धरना सुबह 11 बजे शुरू हुआ और लगभग एक घंटे तक चला।
नामांकन रद्द होने पर बवाल
मलोट के वार्ड नंबर 12 के लिए छह लोगों ने नामांकन दाखिल किए थे। जांच के बाद शुक्रवार को केवल आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार का नामांकन वैध पाया गया, जबकि कांग्रेस, शिअद और भाजपा उम्मीदवारों के नामांकन अनियमितता के आधार पर रद्द कर दिए गए। इससे पहले शुक्रवार शाम को भी तीनों दलों ने एसडीएम कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था।
‘सरकार का तानाशाही रवैया’
शनिवार को प्रदर्शनकारियों ने पंजाब सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और आरोप लगाया कि विपक्षी दलों के नामांकन रद्द करवाकर सरकार तानाशाही रवैया अपना रही है। शिअद के पूर्व विधायक हरप्रीत सिंह ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ दल ‘आप’ को हार का डर था, इसलिए उन्होंने विपक्षी उम्मीदवारों के नामांकन रद्द करवा दिए।

पूर्व विधायकों ने लगाए गंभीर आरोप
पूर्व विधायक हरप्रीत सिंह ने कहा कि विरोधियों के नामांकन रद्द करवाकर सरकार ने लोकतंत्र की हत्या की है। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने सरकारी दबाव में उनके दल के उम्मीदवार का नामांकन रद्द किया है। पूर्व विधायक रुपिंदर कौर रूबी ने कहा कि नामांकन रद्द करने के लिए जिस फीस का हवाला दिया जा रहा है, वह फीस एसडीएम कार्यालय के कर्मचारियों ने ही भरवाई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि कर्मचारियों ने सरकारी दबाव में गलत जानकारी दी। उन्होंने इंसाफ के लिए अदालत जाने की चेतावनी भी दी।
एसडीएम ने दी सफाई
एसडीएम संजीव कुमार ने बताया कि जिन उम्मीदवारों के नामांकन रद्द किए गए हैं, उन्होंने पूरी फीस जमा नहीं करवाई थी। नगर कौंसिल मलोट प्रथम श्रेणी में आता है, जिसके लिए 150 रुपये की फीस निर्धारित है, लेकिन उम्मीदवारों ने तृतीय श्रेणी की 100 रुपये फीस जमा करवाई थी, जिसके कारण अनियमितता के चलते उनके नामांकन रद्द किए गए।
हालांकि बाजार बंद का आह्वान किया गया था, लेकिन इसका ज्यादा असर नहीं दिखा और बाजार खुले रहे.
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