
नई दिल्ली: अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान परिवारवाद के मुद्दे पर जमकर बाइडेन की आलोचना की थी. लेकिन सत्ता में आते ही खुद ट्रंप “परिवार प्रथम” की नीति अपनाते नज़र आ रहे हैं. उन्होंने अपने परिवार और करीबियों को प्रशासन में महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया है, जिससे उन पर भी परिवारवाद को बढ़ावा देने के आरोप लग रहे हैं.
परिवार और करीबियों की नियुक्ति:
ट्रंप ने अपनी दोनों बेटियों के ससुरों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी हैं. उनके बेटे जूनियर ट्रंप को कंपनियों के बोर्ड में जगह मिली है, और बेटे की पूर्व मंगेतर को राजदूत बनाया गया है. ट्रंप के करीबी एलन मस्क को भी प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका मिलने की उम्मीद है.
जूनियर ट्रंप कंपनी बोर्ड में शामिल:
20 जनवरी को शपथ ग्रहण से पहले ही ट्रंप के बेटे जूनियर ट्रंप दो कंपनियों, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पब्लिक स्क्वायर और ड्रोन पार्ट्स बनाने वाली अनयूजुअल मशीन्स, के बोर्ड में शामिल हो गए हैं.

बेटे की पूर्व मंगेतर बनीं राजदूत:
जूनियर ट्रंप की पूर्व मंगेतर किम्बर्ली गिलफॉयल को ग्रीस का राजदूत नियुक्त किया गया है. गिलफॉयल फॉक्स न्यूज की होस्ट रह चुकी हैं.
बेटियों के ससुरों को भी मिली तरजीह:
ट्रंप ने अपनी बड़ी बेटी इवांका के ससुर चार्ल्स कुशनर को फ्रांस का राजदूत बनाया है. चार्ल्स रियल एस्टेट कारोबारी हैं और धोखाधड़ी के एक मामले में दोषी ठहराए गए थे, लेकिन ट्रंप ने उन्हें माफ़ी दे दी थी.
ट्रंप की छोटी बेटी टिफनी के ससुर मासाद बौलोस को अरब और मध्य-पूर्व देशों के मुद्दों का सलाहकार नियुक्त किया गया है. बौलोस एक अमेरिकी अरबपति हैं.
विरोधियों का निशाना:
ट्रंप के इन फैसलों से उनके विरोधी उन्हें परिवारवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगा रहे हैं. ट्रंप के इन कदमों से उनकी पहले की बयानबाजी का विरोध होता दिख रहा है. देखना होगा कि भविष्य में ट्रंप प्रशासन इन आरोपों पर कैसी प्रतिक्रिया देता है.
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