
चंडीगढ़। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब में शंभू बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन के कारण यातायात बाधित होने से संबंधित जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। याचिका में राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर अवरोधों को हटाने और सुगम यातायात सुनिश्चित करने की मांग की गई थी।
कोर्ट का तर्क:
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसी मुद्दे पर पहले से ही एक जनहित याचिका लंबित है और मामले में कुछ पहल की जा चुकी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह एक ही मुद्दे पर बार-बार आने वाली याचिकाओं पर विचार नहीं कर सकता। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने याचिकाकर्ता गौरव लूथरा से कहा कि वे पहले से ही इस मामले की जांच कर रहे हैं और याचिकाकर्ता को बार-बार याचिकाएं दायर करने से रोकते हुए कहा कि वे समाज के विवेक के रक्षक नहीं हैं। पीठ ने यह भी कहा कि कई लोग प्रचार या दर्शक आकर्षित करने के लिए ऐसी याचिकाएँ दायर करते हैं।
किसानों का प्रदर्शन:

गौरतलब है कि संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान 13 फरवरी से शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। याचिका में आरोप लगाया गया था कि किसानों ने राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों को अवरुद्ध कर रखा है। याचिका में यह भी मांग की गई थी कि आंदोलनकारी किसान राष्ट्रीय राजमार्गों और रेलवे पटरियों को अवरुद्ध न करें।
दिल्ली कूच का प्रयास:
हाल ही में किसानों ने दिल्ली कूच करने का प्रयास किया था, लेकिन हरियाणा पुलिस ने उन्हें पंजाब-हरियाणा सीमा पर रोक दिया और आंसू गैस के गोले भी छोड़े।
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से शंभू बॉर्डर पर यातायात बाधित होने की समस्या का समाधान कब होगा, यह अभी अनिश्चित है। पहले से लंबित याचिका पर ही कोर्ट आगे की कार्रवाई करेगा।
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