श्रीनगर: हिमाचल प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय द्वारा छह मुख्य संसदीय सचिवों (CPS) की नियुक्ति रद्द करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है। 13 नवंबर को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार द्वारा की गई छह CPS की नियुक्तियों को रद्द करते हुए, उन्हें नियुक्त करने वाले अधिनियम को भी अमान्य घोषित कर दिया था।
मुख्य बिंदु:
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हाई कोर्ट का फैसला: उच्च न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं) अधिनियम, 2006 को अमान्य घोषित करते हुए कहा कि अधिकारी सार्वजनिक पद का दुरुपयोग कर रहे थे। सभी सुविधाएँ तत्काल प्रभाव से वापस ले ली गईं।
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सरकार की अपील: राज्य सरकार ने अपनी अपील में कहा है कि उच्च न्यायालय का आदेश “कानून की दृष्टि से गलत” है और इस पर रोक लगाई जानी चाहिए। सरकार का तर्क है कि इस फैसले से छह संसदीय सचिव (जो विधायक भी हैं) अनुच्छेद 192 के तहत अयोग्य ठहराए जाने की संभावना का सामना कर रहे हैं, जिससे राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो सकती है।
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सीपीएस की नियुक्ति: मुख्यमंत्री सुक्खू ने 8 जनवरी, 2023 को छह विधायकों को मुख्य संसदीय सचिव नियुक्त किया था।
सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर सुनवाई करेगा और राज्य सरकार की अपील पर निर्णय लेगा।
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