नई दिल्ली में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के बारे में सनसनीखेज खुलासे किए हैं। ED ने PFI के नेटवर्क की चार साल तक जांच की है और जांच के बाद तैयार किए गए डोजियर में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
डोजियर के मुख्य बिंदु:
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संगठन का विस्तार: PFI केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, जम्मू और कश्मीर और मणिपुर में सैकड़ों सदस्य और कार्यालयों का एक बड़ा नेटवर्क चला रहा था।
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विदेशी कनेक्शन: PFI के सदस्य सिंगापुर सहित पांच खाड़ी देशों में भी सक्रिय थे।
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वित्तीय अनियमितताएं: संगठन में कम से कम 13,000 सदस्य थे और कई अज्ञात दानदाताओं ने संगठन को वित्तीय मदद दी है। हवाला के जरिए भी संगठन को पैसे दिए जाते रहे थे।
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हिंसा में शामिल: PFI दिल्ली दंगों, हाथरस में अशांति और जुलाई 2022 में पटना में अपनी रैली के दौरान पीएम मोदी की जान लेने की कोशिश में शामिल था।
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युवाओं को ट्रेनिंग: संगठन की ओर से फिजिकल एजुकेशन की आड़ में युवाओं को विस्फोटकों और हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाती थी।
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वास्तविक लक्ष्य: PFI खुद को एक सामाजिक आंदोलन के रूप में पेश करता था, लेकिन ED के अनुसार, संगठन का असली लक्ष्य भारत में जिहाद के माध्यम से इस्लामी आंदोलन को अंजाम देना था।
ED ने PFI के संबंध में ये भी खुलासा किया:
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PFI कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और यूएई में सक्रिय था।
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पिछले कुछ सालों में अलग-अलग एजेंसियों ने PFI की गतिविधियों से जुड़े होने के मामले में 26 शीर्ष पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया है।
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PFI केरल में एक आतंकी कैंप चला रहा था।
ED द्वारा जारी किया गया डोजियर PFI की वास्तविक गतिविधियों और इसके खतरनाक मंसूबों का पर्दाफाश करता है। यह संगठन खुद को एक सामाजिक आंदोलन के रूप में पेश करता था, लेकिन वास्तव में यह हिंसा और आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा था।
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