
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि उनका देश भारत, ब्राजील और अफ्रीकी देशों की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता चाहता है। उन्होंने कहा कि वैश्विक संस्था में विश्व की बहुलता के प्रतिनिधित्व के लिए यह जरूरी है। लावरोव ने कहा कि क्षेत्रीय प्रमुखता वाले इन देशों को सुरक्षा परिषद में शामिल किए जाने की लंबे समय से जरूरत महसूस की जा रही है।
लावरोव ने एक वेबसाइट से बात करते हुए कहा कि भारत, ब्राजील जैसे देशों के साथ-साथ अफ्रीका के प्रतिनिधियों को भी लंबे समय तक सुरक्षा परिषद में स्थायी तौर पर रहना चाहिए था। वैश्विक बहुमत का प्रतिनिधित्व, प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक है।
संयुक्त राष्ट्र में चीन की अड़चन
भारत लंबे समय से सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग कर रहा है और स्थायी और अस्थायी सदस्यों की संख्या में बढ़ोतरी की आवश्यकता जता रहा है। 1945 में गठित सुरक्षा परिषद के शुरू से 15 सदस्य हैं। इनमें से पांच स्थायी और 10 अस्थायी होते हैं। अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन पहले ही सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत के दावे का समर्थन कर चुके हैं। लेकिन स्थायी सदस्यों में शामिल चीन इसमें अड़ंगे डाल रहा है।

भारत का समर्थन
पिछले महीने, ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थायी सीट के लिए भारत का समर्थन करने में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के साथ शामिल हुए थे। भारत आखिरी बार 2021-22 में अस्थायी सदस्य के रूप में संयुक्त राष्ट्र की उच्च मेज पर बैठा था। समसामयिक वैश्विक वास्तविकता को प्रतिबिंबित करने के लिए स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग बढ़ती जा रही है।
रूस का पिछला समर्थन
यह पहली बार नहीं है जब रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत के पक्ष में आवाज उठाई है। उन्होंने 79वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि निष्पक्ष विश्व व्यवस्था के लिए यूएनएससी में ग्लोबल साउथ के प्रतिनिधित्व के विस्तार की आवश्यकता है और उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए भारत और ब्राजील की दावेदारी के लिए रूस का समर्थन व्यक्त किया था।
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