नई दिल्ली, 17 जुलाई – सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के उस निर्देश पर रोक लगा दी है, जिसमें कहा गया था कि कांवड़ियों के रूट स्थित भोजनालयों पर मालिकों के नाम प्रदर्शित किए जाने चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उन्हें यह भी बताना होगा कि किस तरह का खाना परोसा जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने कांवरिया यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को मालिकों के नाम लिखने के लिए कहने वाले सरकारी निर्देश पर रोक लगा दी है और कांवरिया यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को मालिकों के नाम लिखने के लिए कहने वाले उनके निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों को नोटिस जारी किया है.
कांवड़ यात्रा मार्ग पर होटलों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। जस्टिस हृषिकेश राय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने मामले की सुनवाई की।
सुप्रीम कोर्ट ने एनजीओ ‘एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स’ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से सवाल किया कि क्या यह प्रेस स्टेटमेंट था या औपचारिक आदेश था कि होटलों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने चाहिए?
याचिकाकर्ताओं के वकील ने बताया कि पहले एक प्रेस स्टेटमेंट जारी किया गया था और फिर लोगों में आक्रोश फैल गया। उन्होंने कहा कि सरकार यह कह रही है कि यह आदेश स्वैच्छिक है, लेकिन पुलिस सख्ती से इसे लागू कर रही है। वकील ने कहा कि कोई औपचारिक आदेश नहीं है, बल्कि पुलिस दुकानदारों पर सख्त कार्रवाई कर रही है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह एक छद्म आदेश है।
याचिकाकर्ताओं की दलील:
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वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह ने कहा कि अधिकांश दुकानदार गरीब सब्जी और चाय की दुकान के मालिक हैं और इस तरह के आर्थिक बहिष्कार के अधीन होने पर उनकी आर्थिक मृत्यु हो जाएगी। अनुपालन नहीं करने पर दुकानदारों को बुलडोजर कार्रवाई का सामना करना पड़ा है।
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सिंघवी ने कहा कि कांवर यात्राएं दशकों से होती आ रही हैं और मुस्लिम, ईसाई और बौद्ध समेत सभी धर्मों के लोग उनके रास्ते में उनकी मदद करते हैं। अब आप किसी विशेष धर्म का बहिष्कार कर रहे हैं।
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सिंघवी ने कहा, “बहुत सारे शुद्ध शाकाहारी रेस्तरां हैं जो हिंदुओं द्वारा चलाए जाते हैं और उनमें मुस्लिम कर्मचारी भी हो सकते हैं, क्या मैं कह सकता हूं कि मैं वहां जाकर नहीं खाऊंगा क्योंकि खाना किसी न किसी तरह से मुस्लिमों या दलितों द्वारा छुआ जाता है?”
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सिंघवी ने कहा कि निर्देश में कहा गया है “स्वेच्छा से” (इच्छा से) लेकिन स्वेच्छा कहां है?
सुप्रीम कोर्ट का रुख:
सुप्रीम कोर्ट ने सिंघवी से कहा कि हमें स्थिति को इस तरह से बयान नहीं करना चाहिए कि जमीन पर जो है, उसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाए। इन आदेशों में सुरक्षा और स्वच्छता के आयाम भी हैं।
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