चंडीगढ़/शिमला/कश्मीर, 25 फरवरी: विदेशों से आयात हो रहा सेब हिमाचल और कश्मीर के सेब के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। पहली बार सेब के चालू सीजन के दौरान ही देश के बड़े शहरों में पिछले सीजन का सेब बिक रहा है।
आयातित सेब से नुकसान:
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चंडीगढ़, दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद सहित अन्य शहरों में ईरान, टर्की, यूएसए और साउथ अफ्रीका का आयातित सेब बड़े पैमाने पर बिक रहा है। 
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इससे ताजा सेब की मांग कम हो गई है। 
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हिमाचल और कश्मीर के सीए स्टोर में रखे सेब को सही दाम नहीं मिल पाए हैं। 
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हिमाचल में 3 लाख और कश्मीर में दो करोड़ बॉक्स से अधिक सेब अभी मार्केट में आना बाकी है। 
आयातित सेब सस्ता:
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चंडीगढ़ फल मंडी में साउथ अफ्रीका से आयातित फ्रेश गाला किस्म का सेब 350 रुपये किलो और शिमला और कश्मीर के स्टोर का सेब 200 रुपये किलो बिक रहा है। 
बागवानों को नुकसान का अंदेशा:
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हिमाचल में सेब सीजन शुरू हो चुका है, लेकिन बाजारों में आयातित और स्टोर का सेब बिकने से बागवानों को नुकसान का अंदेशा है। 
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कश्मीर में अभी सेब सीजन शुरू नहीं हुआ, लेकिन बीते सीजन का स्टोर में रखा सेब बागवानों के लिए चिंता का सबब बन गया है। 
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कश्मीर के स्टोर के सेब को अब तक 2200 करोड़ का घाटा हो चुका है। 
बागवानों की मांग:
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बागवानों ने विदेशी सेब पर आयात शुल्क 100 फीसदी लागू करने की मांग की है। 
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उनका मानना है कि अपने सेब की गुणवत्ता और पैकेजिंग में सुधार करने की जरूरत है। 
विशेषज्ञों का सुझाव:
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बागवानों को बगीचों से गुणवत्ता वाला सेब छंटाई कर यूनिवर्सल कार्टन में अच्छी पैकिंग के साथ मंडियों में लाना होगा, तभी सही दाम मिलेंगे। 
आगे की राह:
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आयातित सेब से मुकाबला करने के लिए हिमाचल और कश्मीर के बागवानों को एकजुट होकर काम करना होगा। 
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सरकार को भी इस समस्या पर गंभीरता से विचार करना होगा। 
हरीश चौहान, संयोजक, संयुक्त किसान मंच:
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विदेशी सेब पर आयात शुल्क 100 फीसदी लागू करने के लिए बागवानों को संगठित होकर लड़ाई लड़नी पड़ेगी। 
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हमें अपने सेब की गुणवत्ता और पैकेजिंग सुधारनी होगी। 
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रनिंग सीजन में स्टोर और आयातित सेब बिक रहा है, जो बागवानों के लिए चिंता का विषय है। 
कुशाल सिंह मेहता, बागवानी विशेषज्ञ:
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बागवानों को बगीचों से गुणवत्ता वाला सेब छंटाई कर यूनिवर्सल कार्टन में अच्छी पैकिंग के साथ मंडियों में लाना होगा, तभी सही दाम मिलेंगे। 
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आयातित सेब के कारण पिछले सीजन का स्टोर का सेब नहीं बिक रहा है। 
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