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हल्द्वानी: एक नाबालिग से दुष्कर्म कर उसे गर्भवती करने के मामले में विशेष न्यायाधीश पाक्सो नंदन सिंह राणा की अदालत ने दोषी जीजा को 20 साल की सजा सुनाई है। यह मामला इसलिए भी चर्चा में रहा क्योंकि शुरुआत में पीड़िता के चचेरे भाई पर आरोप लगा था, जिसने बाद में आत्महत्या कर ली थी।
क्या था मामला?
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फरवरी 2020 में नैनीताल में एक नाली में नवजात शिशु मिला था।
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जाँच में पता चला कि 15 वर्षीय एक किशोरी ने बच्चे को जन्म दिया था।
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पीड़िता ने अपने नाबालिग चचेरे भाई पर दुष्कर्म का आरोप लगाया।
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पुलिस ने किशोर को बाल सुधार गृह भेज दिया और DNA सैंपल लिया।
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कुछ दिनों बाद किशोर ने आत्महत्या कर ली।
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DNA रिपोर्ट में किशोर और नवजात का DNA अलग–अलग निकला।
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मृतक किशोर के परिवार ने पीड़िता के जीजा समेत चार लोगों का DNA टेस्ट कराने की मांग की।
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रिपोर्ट में पीड़िता के जीजा ही बच्चे का जैविक पिता निकला।
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अदालत ने दोषी जीजा को 20 साल की सजा और 20 हजार रुपये जुर्माना लगाया।
मामले के मुख्य बिंदु:
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DNA रिपोर्ट ने मामले का रुख बदल दिया और असली दोषी का पर्दाफाश किया।
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यह मामला रिश्तों की मर्यादा को तार–तार करने वाला है।
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शुरुआत में गलत आरोप लगने के कारण एक निर्दोष किशोर ने अपनी जान दे दी।
यह घटना समाज में नैतिक मूल्यों के पतन और महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों की ओर इशारा करती है।
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