- अपनी किस्म की यह पहली और अनूठी हिस्सेदारी राज्य के जल संसाधन संरक्षण कार्यक्रमों में प्राईवेट क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाएगी: चेतन सिंह जौड़ामाजरा
चंडीगढ़, 3 जनवरी:
राज्य में चलाए जा रहे जल संरक्षण एवं प्रबंधन सम्बन्धी प्रयासों को और अधिक बढ़ावा देने के लिए पंजाब सरकार द्वारा आज क्वांटम पेपर्स लिमिटेड के साथ समझौता सहीबद्ध किया गया। पंजाब के भूमि एवं जल संरक्षण मंत्री स. चेतन सिंह जौड़ामाजरा की मौजूदगी में विभाग के अधिकारियों और होशियारपुर आधारित पेपर कंपनी के प्रबंधकों ने समझौते पर हस्ताक्षर किए।
इस दौरान कैबिनेट मंत्री स. जौड़ामाजरा ने मुख्यमंत्री स. भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली सरकार की प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के प्रति वचनबद्धता को दोहराते हुए कहा कि यह राज्य में अपनी किस्म का पहला ऐसा प्रयास है जिसके अंतर्गत राज्य में निजी क्षेत्र जल स्रोतों के संरक्षण के लिए निवेश और सहयोग करेगा।
स. चेतन सिंह जौड़ामाजरा ने कहा कि यह कदम यकीनी तौर पर सरकार को अपने जल संरक्षण कार्यक्रमों का दायरा बढ़ाने में मदद करेगा और भविष्य में ऐसी और भी सरकार-निजी हिस्सेदारी वाली पहलों के लिए रास्ता साफ करेगा।
भूमि एवं जल संरक्षण मंत्री ने कहा कि इस समझौते के अंतर्गत कंपनी अपने कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी फ़ंडों या इस उद्देश्य के लिए विशेष रूप से निर्धारित फ़ंडों के ज़रिए नए और चल रहे जल स्रोत संरक्षण और प्रबंधन कार्यों में निवेश करेगी जिसमें चैक डैमों का निर्माण, कुशल सिंचाई प्रणालियों का कार्यान्वयन, सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांटों से ट्रीटेड पानी का प्रयोग आदि कार्य शामिल हैं।
ज़िक्रयोग्य है कि साल 1979-80 के दौरान ज़िला होशियारपुर के गाँव सैलाख़ुरद में स्थापित की गई क्वांटम पेपर्स लिमिटेड, राज्य की एक प्रमुख काग़ज़ निर्माता कंपनी है। कंपनी के डायरैक्टर श्री द्रिशइन्दर सिंह संधावालिया ने बताया कि वह पंजाब सरकार के साथ लंबे समय की हिस्सेदारी में रूचि रखते हैं और सरकार की हर तरह की जल संरक्षण पहलों में निवेश करेंगे।
इस दौरान विभाग के विशेष मुख्य सचिव श्री के.ए.पी. सिन्हा ने अधिकारियों को कृषि क्षेत्र में पानी के संरक्षण के लिए और नवीन एवं स्मार्ट तकनीकें लाने के लिए कहा।
महिंदर सिंह सैनी, मुख्य भूमि पाल पंजाब ने कंपनी के प्रतिनिधियों का जल स्रोत प्रबंधन की इस अहम मुहिम में राज्य सरकार के साथ जुड़ने के लिए धन्यवाद किया।
यहां बताने योग्य है कि राज्य भूजल की नाज़ुक स्थिति का सामना कर रहा है और इसका लगभग 80 प्रतिशत क्षेत्रफल अति-शोषण श्रेणी के अधीन है। अगर जल्द ही उचित कदम न उठाए गए तो वह दिन दूर नहीं, जब राज्य निवासी बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधन जल से वंचित हो जाएंगे।